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खतरे की घंटी ! ओडिशा के स्कूल में जापानी इंसेफेलाइटिस से संक्रमित मिली पांच छात्राएं, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

Japanese encephalitis स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पांच प्रभावित छात्राओं को दो अन्य लोगों के साथ जिला मुख्यालय अस्पताल (डीएचएच) में स्थानांतरित कर दिया है। इसके अलावा अन्य छात्राओं पर निगरानी रखी जा रही है।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Mon, 20 Feb 2023 02:08 PM (IST)
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ओडिशा के स्कूल में जापानी इंसेफेलाइटिस से पांच छात्र संक्रमित

अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। ओडिशा में जापानी इंसेफेलाइटिस ने चिंता बढ़ा दी है। बालासोर जिले के सोरो में पुरुबाई कन्याश्रम के 26 बच्चों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिसमें पांच छात्राओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीज मिलने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पांच प्रभावित छात्राओं को जिला मुख्यालय अस्पताल (डीएचएच) भेज दिया है। छात्राओं की हालत स्थिर बताई जा रही है।

इससे पहले रविवार को जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. निरंजन मिश्रा ने छात्राओं के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। बालासोर सहायक जिला चिकित्सा अधिकारी (एडीएमओ) मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि 25 छात्राओं के सैंपल का परीक्षण किया गया और पांच छात्राओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्हें बालासोर अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है। अन्य बच्चियों में इसके लक्षण नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्हें निगरानी में रखा गया है।

कन्याश्रम के 10वीं कक्षा के एक छात्रा की शुक्रवार को मौत हो गई थी। इसके अलावा 26 अन्य को दस्त और गंभीर सिरदर्द के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

2016 में जापानी बुखार ने कहर मचाया था

बता दें कि सितंबर-नवंबर 2016 में ओडिशा के मल्कानगिरी जिले से जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के गंभीर प्रकोप की सूचना मिली थी, जिसमें 103 लोगों की मौत हो गई थी। इससे 336 बच्चे प्रभावित हुए थे।

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस

जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छर के काटने से होने वाला एक वायरल मस्तिष्क संक्रमण है। यह वायरस डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस के समान जीन्स से संबंधित है। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस एशिया के कई देशों में वायरल जापानी इंसेफेलाइटिस का मुख्य कारण है, जिसके हर साल अनुमानित 68000 क्लिनिकल मामले सामने आते हैं।

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