Odisha क्राइम ब्रांच ने दिल्ली-UP से आठ साइबर जालसाजों को किया गिरफ्तार, बीमा पॉलिसी के नाम पर लोगों से करते थे ठगी
राजधानी का एक दपंति धोखाधड़ी का शिकार हो गया। डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने के दौरान पता चला कि आरोपी प्रदेश के बाहर के हैं जिसके बाद तीन टीमें नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश के के फतेहपुर व मऊ के लिए रवाना हुईं। जांच के दौरान पता चला कि आरोपी भीम रघु आनंद और रूपाली गुप्ता पहले बीमा और ऋण से संबंधित क्षेत्र में काम करते थे।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 25 Nov 2023 05:00 AM (IST)
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम यूनिट ने नई दिल्ली, फतेहपुर और उत्तर प्रदेश के मऊ से आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट के अनुसार ये आठों साइबर जालसाज एक समूह का हिस्सा हैं जो बीमा पॉलिसी और ऋण के नाम पर निर्दोष लोगों को ठग रहे थे।
राजधानी भुवनेश्वर के निवासी दिलीप कुमार जालान के अनुसार वह और उनकी पत्नी 76,15,955 रुपये की बीमा धोखाधड़ी का शिकार हो गए थे। सूचक दिलीप कुमार जालान की पत्नी के पास एचडीएफसी जीवन बीमा पॉलिसी थी जिसकी परिपक्वता राशि 20 लाख रुपये थी।
जुलाई की शुरुआत में, कई अज्ञात व्यक्तियों ने पॉलिसी को अपग्रेड करने के लिए कई मोबाइल नंबरों से उनसे संपर्क किया। ऐसा ही एक ऑफर मौजूदा रुपये को अपग्रेड करने का था जिसमें 20 लाख की पॉलिसी से रु. 2.75 करोड़ और शीघ्र रिलीज की सुविधा का प्रलोभन दिया गया था। इन कॉलर्स ने उन्हें चार अलग-अलग खातों में अलग-अलग रकम जमा करने के लिए मना कर रुपये जमा करवा दिये।
दिलीप की पत्नी ने उनके निर्देशों का पालन करते हुए, 5 जुलाई, 2023 और 28 सितंबर, 2023 के बीच दो एसबीआई , एक कोटक महिंद्रा और एक एक्सिस बैंक के एकाउंट में 76,15,955 रुपये जमा किए गए। इस धोखाधड़ी मामले में सीआईडी सीबी साइबर क्राइम पीएस केस संख्या 21/2023 दिनांक 04.10.2023 को आईटी अधिनियम की धारा 419/ 420/ 465/ 467/ 471/ 120-बी/ 34 आईपीसी आरडब्ल्यू 66-सी/ 66-डी के तहत शिकायत दर्ज किया गया था।
आवश्यक जानकारी और डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने के दौरान यह पता चला कि आरोपी व्यक्ति प्रदेश के बाहर के हैं जिसके बाद साइबर अपराध इकाई, सीआईडी सीबी की तीन टीमें नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश के के फतेहपुर व मऊ के लिए रवाना हुईं। जांच के दौरान पता चला कि आरोपी भीम, रघु आनंद और रूपाली गुप्ता पहले बीमा और ऋण से संबंधित क्षेत्र में काम करते थे।
आरोपी भीम विभिन्न स्रोतों से पॉलिसी धारकों या ऋण के लिए आवेदन करने वालों के बारे में जानकारी एकत्र करता था। ये तीनों एक कॉल सेंटर की तरह काम करते थे और उन लोगों से संपर्क करते थे. उस अनुभव का उपयोग करते हुए, उन्होंने शिकायतकर्ता को यह कहकर फुसलाया कि उसकी पत्नी की बीमा पॉलिसी, जिसकी परिपक्वता राशि 20 लाख रुपये को कुछ शुल्क चुकाकर 2.75 करोड़ रुपये में अपग्रेड किया जा सकता है।
लालच दिखा कर उन्होंने शिकायतकर्ता को निम्नलिखित अनुसार चार व्यक्तियों के खातों में पैसे जमा करने के लिए मना लिया:
प्रमोदा बाली - रु. 28.73 लाख (एसबीआई)तेज कुमार - रु. 8.32 लाख (एसबीआई)काव्या सिंह - रु. 27.54 लाख (एक्सिस)आशीष कुमार - रु. 11.56 लाख (कोटक महिंद्रा)अपने चार एकाउंट में शिकायत कर्ता से 76,15,955/- रु मंगवा कर आरोपी व्यक्तियों ने रघु आनंद, रूपाली गुप्ता और भीम ने भानु प्रताप यादव के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए। इसके बाद, रघु आनंद और भीम, जो अपराध के पीछे का मुख्य मास्टर माइंड हैं ने विभिन्न एटीएम से पैसे निकाले।
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