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DRDO ने किया SFDR मिसाइल का सफल परीक्षण, भारत ने रूस के साथ मिलकर की विकसित

SFDR Missile Test बालेश्वर जिला के अंतर्गत चांदीपुर परीक्षण केंद्र से डीआरडीओ ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। मिसाइल की स्पीड बढ़ाने के लिए रैमजेट इंजन का प्रयोग किया जा रहा है भारत की सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस में भी यही इंजन लगा है।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Sat, 09 Apr 2022 12:59 PM (IST)
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डीआरडीओ ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया है।
बालेश्वर, लावा पांडे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट (एसएफडीआर) मिसाइल का ओडिशा के बालेश्वर जिला के अंतर्गत चांदीपुर परीक्षण केंद्र से सफल उड़ान परीक्षण किया है। सूत्रों की माने तो बूस्टर मोटर और नोजल लेस मोटर सहित सभी उप प्रणालियों के अनुरूप परीक्षण किया। आज यानी कि शुक्रवार को दोपहर को इसका सफल परीक्षण किया गया सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में एस एफ डी आर मिसाइल प्रणोदन प्रौद्योगिकी विश्व में सिर्फ गिने चुने देशों के पास ही उपलब्ध है। यह मिसाइल भारत की सरफेस टू एयर और एयर टू एयर दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और उनकी स्ट्राइक रेंज बढ़ाने में मदद करेगा।

सूत्रों की माने तो परीक्षण के दौरान कई नई तकनीक साबित हुई इसमें सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट भी शामिल है। एसएफडीआर के तकनीकी सफल प्रदर्शन ने डीआरडीओ को एक प्रौद्योगिकी लाभ उपलब्ध कराया है जिससे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मदद मिलेगी।

जानें क्‍यों होता है रैमजेट इंजन का प्रयोग

रैमजेट वायु स्वस्थ जेट इंजन का एक रूप होता है किसी भी मिसाइल की स्पीड बढ़ाने के लिए अब रैमजेट इंजन का प्रयोग किया जा रहा है भारत की सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस में भी यही इंजन लगा हुआ है। इसकी मदद से मिसाइल की रफ्तार 3 गुना तेज हो जाती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किलोमीटर दूर तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किलोमीटर तक किया जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 100 से 200 किलोमीटर है। आज इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ तथा आइटीआर से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद था। सूत्रों की माने तो आने वाले एक सप्ताह के भीतर भारत का डीआरडीओ अपने पिटारे से और कई नई किस्म की मिसाइलों तथा पुराने मिसाइलों का आधुनिकरण कर इसका परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप और बालेश्वर के चांदीपुर से परीक्षण किए जाने की संभावना है।

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