Jagannath Rath Yatra : स्नान यात्रा के दिन सुबह 5 बजे होगी महाप्रभु की पहंडी, 8 जुलाई को खुलेगा रत्न भंडार; पढ़ें डिटेल
पुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जानी है। इसको लेकर तैयारी जोरों पर है। तीनों रथों का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है। रथयात्रा को लेकर होने वाली रीति नीति का भी निर्धारण किया जा रहा है। वहीं रथयात्रा से पहले 22 जून को देवस्नान पूर्णिमा है। ऐसे में भोर 5 बजे तीनों ठाकुरों को पहंडी में लाकर स्नान वेदी पर विराजमान किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी जगन्नाथ धाम में सात जुलाई को होने वाली महाप्रभु जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की तैयारी चल रही है। तीनों रथों का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है। रथयात्रा को लेकर होने वाली रीति नीति का भी निर्धारण किया जा रहा है।
वहीं, रथयात्रा से पहले 22 जून को देवस्नान पूर्णिमा है। ऐसे में भोर 5 बजे तीनों ठाकुरों को पहंडी में लाकर स्नान वेदी पर विराजमान किया जाएगा और फिर अन्य नीति संपन्न कर 108 घड़ा सुगंधित जल से महाप्रभु को स्नान कराया जाएगा।
स्नान नीति संपन्न होने के बाद अपराह्न 3.40 बजे गजानन (हाथी) वेश शुरू होगा। पुरी जगन्नाथ मंदिर के छत्तीसा निजोग की बैठक में महाप्रभु की स्नान यात्रा से जुड़ी रीति नीति पर मुहर लग गई है।
देवस्नान पूर्णिमा के लिए 20 जून को दइतापति प्रवेश और 21 जून को सेनापटा लागी नीति निर्धारित की गई है। इन नीतियों के लिए तैयार की गई प्रणाली पर छत्तीसा निजोग ने अपनी मुहर लगा दी है।तय कार्यक्रम के अनुसार, भोर 4.30 बजे मंगलार्पण, सुबह 5 से 7 बजे के बीच डोरलागी और पुष्पांजलि 18 जून को रुक्मिणीहरन एकादशी और भगवान का विवाह और 19 जून को चंपकवादशी और भगवान की गुलि नीति संपन्न की जाएगी।
प्रणालियों और अनुशासन पर भी मुहर लगाई गई
देवस्नान पूर्णिमा के लिए 20 जून को दइतापति और 21 जून को सेनापटा के प्रवेश की नीति है। इसकी नीतियों और नीति के लिए तैयार की गई प्रणालियों और अनुशासन पर भी मुहर लगाई गई है।श्रीमंदिर नीति उप-समिति की पहली बैठक बुधवार को आयोजित की गई। इसमें देवस्नान पूर्णिमा और स्नान यात्रा सहित अन्य सिद्धांतों को अंतिम रूप दिया गया। बाद में मंदिर के मुख्य प्रशासक वीर विक्रम यादव की अध्यक्षता में नीलाद्री भक्त निवास में एक बैठक आयोजित की गई।
बैठक में सर्वसम्मति से नीति सबमिति देवस्नान पूर्णिमा के लिए दिए गए समय में मामूली बदलाव किया गया। तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह 4.30 बजे मंगलपान के बाद पांच बजे से सात बजे के बीच दोरालगी और पुष्पांजलि करने के बाद पहंडी शुरू होगी। पहंडी नीति संपन्न होने के बाद सुबह 9.10 बजे मंगल आरती होगी।दोपहर 12.20 से 1.45 बजे के बीच जलबिजे, पूजा और स्नान नीति होगी। अपराह्न 3 बजे छेरापहंरा के बाद अपराह्न 3.40 बजे श्रीजिउ का गजवेश शुरू होगा। गजवेश की समाप्ति के बाद शाम 4 बजे महंत साड़ी बांधने की प्रक्रिया, शाम 5.30 से 7.20 बजे के बीच घंटछड़ा एवं सुबह की धूप नीति संपन्न की जाएगी।
शाम 7.30 से 10.30 बजे तक सहाणमेला दर्शन होंगे। रात 11 बजे गजवेश हटाने के बाद 11:30 बजे बाहुड़ा (वापसी) पहंडी शुरू होगी जोकि 2 बजे तक चलेगी। रात 2.30 बजे सोना चीता और राहुरेखा मइलम नीति होगी।इसी तरह, राजेंद्राभिषेक नीति के लिए भोर 4 बजे मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और अन्य नीतियां संपन्न की जाएंगी। रात 12 बजे राजेंद्राभिषेक नीति संपन्न होगी। रात 2 बजे रात्रि विश्राम नीति होगी। रुक्मिणी हरण एकादशी के दिन भोर 4 बजे मंदिर का द्वार खोला जाएगा और अन्य नीति संपन्न की जाएगी।
अपराह्न 1:45 बजे रुक्मणी हरण नीति एवं रात 10:45 बजे विवाह नीति शुरू होगी। रात साढ़े तीन बजे विवाह नीति होने के बाद भोर 4 बजे रात्रि विश्राम नीति होगी। चंपक द्वादशी में सुबह 6 बजे द्वार खुलेगा और अन्य नीति संपन्न की जाएगी।
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