ओडिशा में अपनी शिकायत लेकर अब सीधे कोर्ट नहीं जा पाएंगे सरकारी कर्मचारी, लोक प्रशासन ने जारी की अधिसूचना
ओडिशा सरकार में कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारी अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अब सीधे कोर्ट नहीं जा पाएंगे। यदि कोई कर्मी ऐसा करता है तो उसे ओडिशा सरकारी सेवक आचरण नियम-23 का उल्लंघन माना जाएगा। साथ ही सरकार ऐसे मामलों में अदालत से उसकी याचिका निरस्त करने का अनुरोध करेगी। लोक प्रशासन और लोक शिकायत विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी की है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार में कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारी अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अब सीधे कोर्ट नहीं जा पाएंगे। यदि कोई कर्मी ऐसा करता है तो उसे ओडिशा सरकारी सेवक आचरण नियम-23 का उल्लंघन माना जाएगा।
साथ ही सरकार ऐसे मामलों में अदालत से उसकी याचिका निरस्त करने का अनुरोध करेगी। लोक प्रशासन और लोक शिकायत विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार किसी भी समस्या के समाधान के लिए कर्मचारियों अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पहले जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत पंजीकृत करानी होगी।
मुख्यमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ में चली जाएगी शिकायत
इसके बाद उनकी शिकायत विभागीय प्रमुख के पास भेज दी जाएगी। अगर संबंधित अधिकारी 30 दिनों के अंदर समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं तो यह स्वत: निदेशालय और इसके बाद सचिवालय स्तर पर पहुंच जाएगी। सभी स्तर पर समस्या के समाधान के लिए 30-30 दिनों की अवधि निर्धारित होगी। अगर इन स्तरों से गुजरने के बाद भी संबंधित कर्मचारी को न्याय नहीं मिलता है तो उनकी शिकायत मुख्यमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ में चली जाएगी।अधिसूचना के अनुसार अगर संबंधित कर्मचारी अपनी शिकायत को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहें तो वे अपने वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति लेकर मिल सकते हैं। अगर इस स्तर पर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है तो वे कोर्ट की शरण में जाने को स्वतंत्र होंगे।
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