Odisha News: विरोधी दलों के विरोध के बाद झूकी सरकार, कैबिनेट ने जनजातीय भूमि बिक्री अधिनियम को किया खारिज, संशोधन लिया वापस
Odisha News विरोधी दलों के विरोध के बाद कैबिनेट ने जनजातीय भूमि बिक्री अधिनियम को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि इस फैसले को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर थी और सदन के अंदर हंगामा जारी था। फिलहाल इस कानून को संशोधन के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद के पास भेजा गया है जिसकी सूचना संसदीय कार्य मंत्री ने आज सदन में दी।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। जनजातीय भूमि हस्तांतरण अधिनियम को निरस्त कर दिया गया है। विपक्ष के कड़े विरोध के बाद राज्य कैबिनेट ने अपना निर्णय वापस ले लिया है। इस फैसले को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर थी और सदन के अंदर हंगामा जारी था। संसदीय कार्य मंत्री ने आज सदन को सूचित किया कि इस कानून को संशोधन के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद के पास भेज दिया गया है।
अधिनियम में संशोधन के निर्णय पर किया जाएगा पुनर्विचार
राज्य कैबिनेट की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के अनुसार, आदिवासी भूमि हस्तांतरण अधिनियम में संशोधन के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्री निरंजन पुजारी ने सदन को सूचित किया कि इसे पुनर्विचार और जांच के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद के पास भेजा गया है।
माना जा रहा है कि इस संबंध में 14 नवंबर के कैबिनेट के फैसले को विधानसभा में उनकी घोषणा से वापस ले लिया गया है। हालांकि, मंत्री ने विधानसभा में यह क्यों नहीं कहा कि इसे वापस ले लिया है।
राज्य कैबिनेट ने 14 नवंबर को दी थी प्रस्ताव को मंजूरी
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में 14 नवंबर को राज्य कैबिनेट ने नियम 2, 1956 (गैर-आदिवासी आदिवासियों की जमीन खरीद सकते हैं) में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
प्रस्ताव में कहा गया था कि आदिवासी गैर-आदिवासियों को जमीन हस्तांतर कर सकते हैं। शिक्षा, उद्योग और व्यवसाय के लिए जमीन बैंकों में गिरवी रख सकते हैं। हालांकि, कैबिनेट के निर्णय के बाद से ही राज्य में विवाद शुरू हो गया था।
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सरकार के फैसले को विपक्ष ने बताया आदिवासी विरोधी
विपक्षा भाजपा एवं कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय को आदिवासी विरोधी बताने के साथ इसका पुरजोर विरोध किया। इससे आदिवासियों की जमीन सुरक्षित नहीं रहेगी।
कम दाम में अन्य लोग आदिवासियों की जमीन को हड़प लेंगे। केवल इतना ही नहीं आदिवासी समुदाय के पूरी तरह से भूमिहीन हो जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में विपक्ष ने कैबिनेट के निर्णय को तुरन्त वापस लेने की मांग किया था।
विपक्ष के बार-बार विरोध के बाद 14 नवंबर को कैबिनेट में लिया गया निर्णय 16 नवंबर को स्थगित कर दिए जाने की जानकारी आदिवासी जनजाति मंत्री सुदाम मरांडी ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से दी थी। हालांकि, विपक्ष ने कहा था कि कैबिनेट के निर्णय को एक मंत्री या सचिव रद्द नहीं कर सकते हैं।
ऐसे में 24 नवंबर को हुई कैबिनेट बैठक में 14 नवंबर कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय को रद्द करने के साथ इस अधिनियम पर पुन: संशोधन के लिए आदिवासी सलाहकार परिसद को भेजे जाने की जानकारी संसदीय व्यापार मंत्री ने विधानसभा में दी है।
कांग्रेस विधायक नरसिंह मिश्र ने कहा है कि आदिवासी जमीन बिक्री प्रसंघ को आदिवासी सलाहकार परिषद को भेजने की आवश्यकता ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि आज इस प्रसंग पर मुलतवी प्रस्ताव आया था, ऐसे में जल्दबाजी में पुन:विचार करने की बात राज्य सरकार ने कही है।
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