CBI Investigation : ओडिशा डाक भर्ती में फर्जीवाड़े को लेकर आया बड़ा अपडेट, सीबीआई ने कई जगहों पर मारा छापा; ये है डिटेल
Odisha Postal Recruitment Fraud Case ओडिशा डाक भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच अब सीबीआई ने शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में 63 अभ्यर्थियों और डाक विभाग के अज्ञात अधिकारियों खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। वहीं 67 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। इस बड़े ऑपरेशन में 204 से अधिक अधिकारी शामिल थे।
संवाद सहयोगी, संबलपुर। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा के भुवनेश्वर डाक सेवा निदेशक की शिकायत के बाद व्यापक जांच शुरू की है। पश्चिम ओडिशा के कालाहांडी और नुआपाड़ा समेत दक्षिण ओडिशा के रायगड़ा, नबरंगपुर, कंधमाल, उत्तर ओडिशा के केंदुझार, मयूरभंज, बालेश्वर और भद्रक सहित ओडिशा के विभिन्न जिलों में 67 से अधिक स्थानों पर जांच शुरु की गई।
इस बड़े ऑपरेशन में 204 से अधिक अधिकारी शामिल थे, जिनमें सीबीआई के 122 अधिकारी और अन्य विभागों के 82 कर्मी शामिल थे, जो जांच के पैमाने और गंभीरता को उजागर करता है। खोजी टीमें इन फर्जी प्रमाणपत्रों को उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार अंतरराज्यीय संगठित गिरोह का पर्दाफाश करने का प्रयास कर रही हैं।
सीबीआई ने दर्ज किया था मामला
इस फर्जीवाड़े की शिकायत पर सीबीआई ने 9 मई 2023 को आईपीसी की धारा 120-बी, 420, 468 और 471 के साथ धारा 511 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 (ए) के तहत एक नियमित मामला दर्ज किया।डाक विभाग द्वारा ग्रामीण डाक सेवक परीक्षा, 2023 (ओडिशा सर्कल) के 63 उम्मीदवारों और डाक विभाग के अज्ञात अधिकारियों और अज्ञात निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है।
बताया गया है कि बड़े पैमाने पर यह फर्जीवाड़ा ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) के 1,382 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया से संबंधित है, जिसके लिए 27 जनवरी 2023 को ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
चयनित उम्मीदवारों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित किया गया था
इस परीक्षा के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10 वीं पास का प्रमाणपत्र था, जिसमें स्थानीय भाषा में दक्षता अनिवार्य थी। चयन प्रक्रिया के अनुसार, आवेदकों को अपने प्रमाणपत्र और मार्कशीट एक केंद्रीकृत सर्वर पर अपलोड करना आवश्यक था।
यह चयन 10 वीं कक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर स्वचालित किया गया था। चयनित उम्मीदवारों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित किया गया था और उनकी नियुक्ति से पहले दस्तावेज सत्यापन के लिए 15 दिनों के भीतर सत्यापन प्राधिकारी को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था।
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झारखंड अकादमिक परिषद, रांची द्वारा जारी किए गए थे। इस शिकायत में उम्मीदवारों की मिलीभगत से इन जाली प्रमाणपत्रों को बनाने और आपूर्ति करने में एक अंतरराज्यीय रैकेट की कथित संलिप्तता बताया गया है।यह भी पढ़ें-Pappu Yadav : रंगदारी केस में पप्पू यादव को बड़ी राहत, बेल मिलने के बाद बताया मामला दर्ज होने का असली कारण
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