गंजाम के एक कारीगर अरुण साहू ने लकड़ी के साथ चालीसा की एक पुस्तक बनाई है। उन्होंने हिंदी में हनुमान चालीसा लिखी है। उनकी इच्छा अब इस हनुमान चालीसा को अयोध्या भेजने की है। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर ट्रस्ट से अपील की है। कोरोना के समय उनकी इस काम में रूचि बढ़ी है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। हनुमान चालीसा को आपने अब तक पुस्तक के रूप में पढ़ा या देखा होगा, लेकिन इसे अब लकड़ी के तख्त पर लिखा गया है और पुस्तक का रूप दिया गया है। गंजाम के एक कारीगर ने ऐसा काम करने में सफल हुआ है। इस कारीगर का नाम अरुण साहू है।
हनुमान चालीसा को अयोध्या भेजे जाने का अनुरोध
अपने पिता से लकड़ी का काम सीखने के बाद अरुण ने लकड़ी के साथ चालीसा की एक पुस्तक बनाई है। उन्होंने हिंदी में हनुमान चालीसा लिखी है। उन्होंने इस पाठ को अयोध्या भेजने में अपनी रुचि व्यक्त की। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर ट्रस्ट से अपील की है।
पिता के नक्शेकदम पर चलकर अरुण बने बढ़ई
अरुण साहू के पिता हिंजिलिकाटु कंढेईकोली गांव के एक बढ़ई हैं। वह विभिन्न घरेलू सामान बनाते हैं। अरुण ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए इस पेशे को अपना लिया। वह लकड़ी से खिलौने बनाता था। उत्साह के साथ अपना काम करता था तभी पूरी दुनिया महामारी कोरोना से प्रभावित हुई और अरुण की जीवन-जीविका उसमें फंस गई।
कोरोना के वक्त आया इस काम का विचार
कोरोना की वजह से काम बंद हो गया था। क्या करें? कैसे समय बिताएं? अरुण चिंतित हो गए। उस समय, यह विचार उनके दिमाग में आया। लकड़ी में विभिन्न श्लोक को खुदाई करेंगे। इसके बाद उन्हीं अक्षरों को, लकड़ी के तख्तों में लगाएंगे। वह इसमें सफल भी रहे। इसके बाद उन्होंने लकड़ी पर हिंदी में हनुमान चालीसा लिखना शुरू किया।
हनुमान चालीसा के अक्षरों को बारीकी से उकेरा गया
लॉकडाउन के दौरान हनुमान चालीसा के सभी अक्षरों को लकड़ी में हिंदी में बनाया। बाद में उसे पुस्तक का आकार दिया। पहले पन्ने पर भगवान राम और हनुमान की तस्वीरें रखी। उन्होंने इसके लिए एक बॉक्स भी बनाया। अरुण ने लकड़ी की हनुमान चालीसा किताब बनाई।हनुमान चालीसा को सटीक और खूबसूरती से लिखा गया है। अक्षर गम्हारी लकड़ी में उकेरे गए हैं, जबकि चिपकाए गए बक्से और पट्टी सागौन की लकड़ी से बने हैं। कागज की किताब की तरह लकड़ी से बनी हनुमान चालीसा की इस किताब को पृष्ठ-दर-पृष्ठ पलटकर पढ़ा जा सकता है। अरुण ने इस हनुमान चालीसा को अयोध्या भेजने की इच्छा जताई है।
अरुण से प्रेरित हो रहे गांव के युवा
अरुण ने कहा कि लकड़ी पर हनुमान चालीसा लिखे जाने की सूचना के बाद से इस कला की मांग बढ़ रही है। लोग सीखने आ रहे हैं। आस-पास के गांवों के युवक और युवतियां अब सीख रहे हैं।वर्तमान में हनुमान चालीसा सहित अन्य सभी हिंदू देवी-देवताओं के मंत्रों को लकड़ी से तराशा जा रहा है। इसके अलावा लकड़ी के तख्तों पर राजनेताओं और प्रतिष्ठित हस्तियों की तस्वीरें भी उकेरी जा रही हैं। अरुण ने कहा है कि भुवनेश्वर के मेले में इसकी मांग देखने को मिली। लोग आदर सम्मान के साथ इन्हें खरीद रहे हैं।
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