ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण पर ही दीपाली को मिलेगी अग्रिम जमानत : हाई कोर्ट
ओडिशा हाईकोर्ट ने झारसुगुड़ा की पूर्व विधायक और बीजद नेता दीपाली दास को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। उन पर 21 सितंबर को तालाबीरा में केंद्रीय पीएसयू एनएलसी इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले के परिवहन में कथित रूप से बाधा डालने का आरोप है। हालांकि कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि उनके आत्मसमर्पण के बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
संस, झारसुगुड़ा। उड़ीसा हाईकोर्ट ने सोमवार को झारसुगुड़ा की पूर्व विधायक और बीजद नेता दीपाली दास को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया। दीपाली दास पर 21 सितंबर को तालाबीरा में केंद्रीय पीएसयू एनएलसी इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले के परिवहन में कथित रूप से बाधा डालने का आरोप है।
हालांकि, कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि उनके आत्मसमर्पण के बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। जस्टिस आदित्य कुमार महापात्रा की एकल पीठ ने कहा आरोप की प्रकृति, अपराध की गंभीरता और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मैं याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं हूं।
हालांकि, यह निर्देश दिया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता आज से तीन सप्ताह की अवधि के भीतर मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करती है और जमानत के लिए आवेदन दायर करती है तो मामले की सुनवाई कर रही अदालत उसे इस संबंध में जमानत पर रिहा कर देगी। उपरोक्त मामला ऐसी शर्तों पर है जो उचित समझी जा सकती हैं।
यह मामला पूर्व बीजद मंत्री नव किशोर दास की बेटी दीपाली के खिलाफ 21 सितंबर को तालाबीरा में एनएलसी इंडिया लिमिटेड के कोयला परिवहन वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने के आरोप में दर्ज किया गया था।
दीपाली के वकील तुकुना कुमार मिश्रा ने तर्क दिया कि पूर्व विधायक को स्थानीय पुलिस ने मामले में झूठा फंसाया है। वह कंपनी और जिला प्रशासन के अवैध आचरण के खिलाफ आंदोलन कर रही थीं।
हालांकि, कंपनी ने कुछ स्थानीय लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया था, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि वह और अन्य लोग कंपनी या उसकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचाने के इरादे से कार्यालय के गेट के सामने शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे थे।
हालांकि, राज्य के वकील एमके मोहंती ने इस आधार पर दीपाली को अग्रिम जमानत पर रिहा करने पर आपत्ति जताई कि एफआइआर में लगाए गए आरोप गंभीर और संगीन प्रकृति के हैं।उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने कंपनी के सामान्य कामकाज में बाधा डालकर कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया है। मोहंती ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्थानीय लोगों को उकसाया जो वहां एकत्र हुए थे, जिससे क्षेत्र में कानून और व्यवस्था का मुद्दा पैदा हुआ।
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