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आज चार घंटे के लिए बंद हो जाएगा पुरी का जगन्‍नाथ मंदिर, महाप्रभु करेंगे श्रृंगार, पढ़ें क्‍या है बनकलागी नीति?

पुरी में जगन्‍नाथ महाप्रभु का मंदिर आज शाम छह बजे से रात के दस बजे तक बंद रहेगा। इस दौरान सर्वसामान्‍य महाप्रभु का दर्शन नहीं कर पाएंगे। मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर परिसर में अन्य पार्श्व देवि देवताओं के दर्शन कर सकेंगे। यह नीति गुप्‍त तरीके से मनाई जाती है। इसमें महाप्रभु के श्रीमुख का श्रृंगार किया जाता है।

By Sheshnath Rai Edited By: Arijita Sen Updated: Wed, 27 Mar 2024 11:23 AM (IST)
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महाप्रभु जगन्नाथ जी की बनकलागी नीति के चलते 4 घंटे बंद रहेगा महाप्रभु का सर्वसामान्य दर्शन।
संवाद सहयोगी, पुरी। पुरी जगन्नाथ मंदिर में फाल्गुन चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि में बुधवार को महाप्रभु की बनकलागी नीति सम्पन्न की जाएगी। ऐसे में भोग मंडप नीति खत्म होने के बाद शाम 6 से रात 10 बजे तक यानी 4 घंटे तक महाप्रभु का सर्वसामान्य दर्शन बंद रहेगा।

गुप्‍त होती है बनकलागी नीति

गौरतलब है कि महाप्रभु की बनकलागी नीति गुप्त नीति होती है। ऐसे में इस समय चतुर्धा विग्रह की मूर्ति के आम भक्त दर्शन नहीं कर पाएंगे। हालांकि महाप्रभु का दर्शन करने के लिए पुरी मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर परिसर में अन्य पार्श्व देवि देवताओं के दर्शन कर सकेंगे।

बनकलागी नीति के लिए जय विजय द्वार बंद रहेगा। दोपहर की धूप नीति सम्पन्न होने के बाद दत्त महापात्र सेवक महाप्रभु के दत्तमहापात्र सेवक प्राकृतिक रंग प्रस्तुत करते हैं। सेवक प्राकृतिक प्रणाली में तैयार किए गए प्रसाधन में श्री विग्रहों के श्रीमुख का श्रृंगार करेंगे। हिंगुल, हरिताल, कस्तुरी, लाल, सफेद एवं काला जैसे पारंपरिक रंग में महाप्रभु के श्रीमुख का श्रृंगार करेंगे।

इस वजह से किया जाता है नीति का पालन

यहां उल्लेखनीय है कि भगवान जगन्नाथ की विशेष अनुष्ठान है बनकलागी नीति। बनकलागी या 'चेहरे की रस्म' एक गुप्त और विशेष अनुष्ठान है जिसका जगन्नाथ मंदिर परंपरा में बहुत महत्व रखता है।

बनकलागी नीति या श्रीमुख श्रृंगार का अर्थ है देवताओं की मूर्तियों पर ताजा रंग लगाना। मूर्तियों के चेहरों का रंग फीका पड़ जाने से रंगों को बहाल करने के लिए यह अनुष्ठान मनाया जाता है।

परंपरा के अनुसार, दत्त महापात्र सेवक और खादीप्रसाद दइतापति सेवक अनुष्ठान करते हैं। बनका तैयार करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक रंगों जैसे हिंगुल, हरिताल, कस्तूरी, केशर, लाल, सफेद, एवं काला जैसे पारंपरिक रंग में महाप्रभु के श्रीमुख का श्रृंगार किया जाता है।

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