ओडिशा के अनुगुल जिले में रेंगाली बांध परियोजना पर जल सत्याग्रह आज 13वें दिन में प्रवेश कर चुका है। आज से 45 साल पहले ब्राह्मणी नदी पर बना रेंगाली बांध बनाने के लिए सरकार ने ग्रामीणों से जमीन ली थी लेकिन इन सत्याग्रहियों के अनुसार इन्हें आज तक पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया। इसी मांग को लेकर लगभग 100 लोग रेंगाली बांध पर जल सत्याग्रह कर रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 13 Dec 2023 11:14 AM (IST)
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा के अनुगुल जिले में रेंगाली बांध परियोजना पर 'जल सत्याग्रह' 13वें दिन में प्रवेश कर चुका है। 45 साल पहले बांध के निर्माण के लिए दी गई जमीन के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग को लेकर लगभग 100 लोग पिछले 12 दिनों से ओडिशा के अनुगुल जिले के रेंगाली बांध पर 'जल सत्याग्रह' कर रहे हैं।
रात के ठंड में भी पानी में खड़े रहते सत्याग्रही
सत्याग्रही दिन भर घुटनों और गर्दन तक पानी में समय बिता रहे हैं। रात का तापमान 10 डिग्री से नीचे होने बावजूद भी इतने ठंड के बीच ये सूर्योदय से सूर्यास्त तक जल में खड़े रहते हैं, जो रात के दौरान भी अपना समय ब्राह्मणी नदी के तट पर बिता रहे हैं।
यह जल सत्याग्रह अनुगुल जिले के पाल्लहड़ा ब्लॉक अंतर्गत गुरुसुलेई में रेंगाली बांध के पानी में कर रहे हैं। ब्राह्मणी नदी पर बना रेंगाली बांध हीराकुंड जलाशय के बाद दूसरा सबसे बड़ा जलाशय है।
औने-पौने दाम पर सरकार ने ले ली थी जमीन
इन सत्याग्रहियों ने मुआवजे के अलावा अपने नाम पर भूमि रिकॉर्ड (खतियान) को नियमित करने की भी मांग की, जो उन्हें बैराज के निर्माण के लिए दी गई जमीन के बदले पुनर्वास उद्देश्यों के लिए सरकार से मिली थी।
जल सत्याग्रहियों में से एक 71 वर्षीय गोपाल बिस्वाल ने बताया कि मुझे अभी भी वह दिन याद है जब हमारे परिवार को ब्राह्मणी नदी पर रेंगाली बांध के निर्माण के लिए बेदखल कर दिया गया था। हमारे परिवार ने 47 एकड़ जमीन सरकार को दी थी, उस समय राज्य सरकार ने हमसे औने-पौने दाम पर जमीन ले ली थी। पुलिस के अत्याचारों के डर से दूसरों की तरह हमारा परिवार भी उस समय चुप रहा।
WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें.
सरकार सत्याग्रहियों की मांगों पर नहीं दे रही ध्यान
बिस्वाल ने कहा कि 47 एकड़ जमीन के बदले राज्य सरकार ने हमें लगभग 2 लाख रुपये और 6 एकड़ जमीन दी थी। राज्य सरकार द्वारा दी गई जमीन से हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल है।इसके अलावा, हमारा उचित पुनर्वास भी नहीं किया गया है और हम बार-बार इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन हमारी मांगों पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।
सरकार ने अब तक जारी नहीं किया मुआवजा
पल्लाहारा के विस्थापित लोगों के संगठन के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार देहुरी ने बताया कि इस डैम के निर्माण में 263 गांवों के 13,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। जिसमें राज्य सरकार ने 35,128.69 एकड़ जमीन छीन ली और लोगों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया। देहुरी ने कहा कि हम पर्याप्त मुआवजे का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं।एक विरोध के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 2010 में रेंगाली परियोजना के भूमि खोने वालों के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ देने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार ने अभी तक वह मुआवजा जारी नहीं किया है। इस बार, हमने 1 दिसंबर से अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
अस्थायी पट्टों को स्थायी पट्टों में नहीं किया गया परिवर्तित
एक अन्य आंदोलनकारी ने कहा कि पुनर्वास के दौरान राज्य सरकार ने जमीन दी और अस्थायी पट्टा (खतियान) जारी किया। चूंकि अस्थायी पट्टों को स्थायी पट्टों में परिवर्तित नहीं किया गया है इसलिए हम न तो जमीन बेच सकते हैं और न ही इसका किसी उद्देश्य के लिए उपयोग कर सकते हैं। अगर हमें अपना धान मंडी (डिपो) में बेचना है तो भी स्थायी पट्टे की आवश्यकता होती है।
रेंगाली बांध परियोजना में जमीन गवाने वालों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार प्रति एकड़ 50,000 रुपये देने और भूमि रिकॉर्ड को अस्थायी से स्थायी में परिवर्तित करने के मुद्दे को हल करने में विफल रहती है तो वे इसी बांध के जल में 'जल समाधि' ले लेंगे।
धर्मेंद्र प्रधान ने नवीन पटनायक के सामने उठाया मुद्दा
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ यह मुद्दा उठाया है और उनसे उनकी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने यह मुद्दा अब क्यों उठाया, एक आंदोलनकारी ने कहा कि यह चुनाव का समय है। सभी राजनीतिक दल हमारा समर्थन करेंगे। उम्मीद है कि सरकार हमारी बात सुनेगी और हम इस अवसर से चूकना नहीं चाहते हैं।
यह भी पढ़ें: शानदार! पूरे देश में ओडिशा का बकाया सबसे कम, RBI ने रिपोर्ट में किया खुलासा, जानें लिस्ट में पहले नंबर पर है कौन सा राज्य यह भी पढ़ें: बेमौसम बारिश ने किसानों को रुलाया, टमाटर की खेती को नुकसान; बाजार में कीमतों ने छुआ आसमान
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।