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Jagannath Temple : भगवान जगन्नाथ को क्या हुआ? अब 6 जुलाई तक भक्त नहीं कर पाएंगे दर्शन, ये है बड़ी वजह

स्नान पूर्णिमा के दिन स्नान वेदी पर दिव्य स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ बुखार से पीड़ित हो गए हैं और प्रभु का इलाज चल रहा है। चतुर्धा विग्रह की गुप्त नीति जारी है। ऐसे में अब जब तक भगावन बुखार से स्वस्थ नहीं हो जाते हैं तब तक पुरी जगन्नाथ मंदिर में भक्तों को महाप्रभु का दर्शन नहीं कर सकेंगे। 7 जुलाई को ही महाप्रभु के भक्त दर्शन करेंगे।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 23 Jun 2024 04:49 PM (IST)
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बुखार से पीड़ित हो गए भगवान जगन्नाथ
संवाद सहयोगी, पुरी। Dev Snan Purnima 2024 स्नान पूर्णिमा के दिन स्नान वेदी पर दिव्य स्नान करने के बाद भगवान बुखार से पीड़ित हो गए हैं। इसलिए अणवसर (बुखार घर) प्रभु का इलाज चल रहा है। यहां चतुर्धा विग्रह की गुप्त नीति चल रही है।

ऐसे में अब जब तक भगवान बुखार से स्वस्थ नहीं हो जाते हैं, तब तक पुरी जगन्नाथ मंदिर में भक्तों को महाप्रभु का दर्शन नहीं मिलेगा। अब 7 जुलाई को ही महाप्रभु का भक्त नेत्रोत्सव एवं नवयौवन दर्शन कर पाएंगे। इस दौरान चतुर्धा विग्रह की जगह पट्टीदीअ (पार्श्व देवी देवता) पूजा की जाएगी।

इनकी होगी पूजा

भगवान जगन्नाथ के स्थान पर नारायण, बलभद्र जी के स्थान पर अनंत वासुदेव और देवी सुभद्रा के स्थान पर भुवनेश्वरी देवी की पट्टीदीअ के रूप में पूजा की जाएगी।

इसके लिए देर रात पट्टी दिअ एवं अन्य देवी देवता दोलगोविंद, मदनमोहन, लक्ष्मी, सरस्वती, राम, कृष्ण और नृरसिंह के पट्टीदीअ को श्रीमंदिर में बिजे किया गया है। उधर, देर रात को बाहुड़ा पहंडी की समाप्ति के बाद श्रीजिउ को सोना चिता, एवं राहूलेखा मइलम नीति सम्पन्न की गई।

भक्तों की देखने को मिली भीड़

वहीं दुसरी तरफ महाप्रभु के अणवसर गृह में जाने से ब्रह्मगिरी के अलारनाथ पीठ में आज भक्तों की भीड़ देखने को मिली है। भोर के समय भगवान अलारनाथ का द्वार खुलने, मंगल आरती एवं तड़पलागी नीति के बाद सुबह 6 बजे से भक्त यहां दर्शन कर रहे हैं।

सुबह के समय भगवान अलारनाथ का दर्शन करने के लिए यहां भारी भक्तों की भीड़ देखने को मिली। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ जी के अणवसर के समय श्री अलारनाथ जी का दर्शन करने पर भगवान जगन्नाथ जी का श्रीमंदिर में दर्शन करने के समान पुण्य मिलता है।

श्रीजगन्नाथ जी का श्रीमंदिर में दर्शन करने से जो फल मिलता है, अणवसर के समय श्री अलारनाथ का दर्शन करने से उसी फल की प्राप्ति होती है। श्रीमंदिर की ही तर्ज पर अलारनाथ मंदिर में भी भोग नीति संपन्न की जाती है।

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