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    EV Subsidy Scheme: ओडिशा की EV सब्सिडी योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, आंध्रप्रदेश-छत्तीसगढ़ के लोग ले रहे लाभ

    ओडिशा सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों ने जाली दस्तावेज़ों से खुद को ओडिशा का निवासी बताकर लाखों की सब्सिडी हड़प ली। परिवहन विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है।

    By Sheshnath Rai Edited By: Krishna Parihar Updated: Sun, 24 Aug 2025 03:56 PM (IST)
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    ओडिशा की ईवी सब्सिडी योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) सब्सिडी योजना में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों ने फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे खुद को ओडिशा का निवासी दिखाकर लाखों रुपये की सब्सिडी हड़प ली।

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    सूत्रों के मुताबिक, सीमा से लगे जिलों जैसे बरगढ़ में छत्तीसगढ़ के लोग खुद को भटली का निवासी बताकर ईवी खरीद रहे थे। इसी तरह, आंध्र प्रदेश के लोग भी रिश्तेदारों के पते का सहारा लेकर योजना का लाभ ले रहे थे। नतीजा यह कि पड़ोसी राज्यों की सड़कों पर ओडिशा पंजीकरण वाले वाहन दौड़ रहे हैं।

    परिवहन विभाग को लगातार शिकायतें मिलने के बाद सरकार हरकत में आई और जांच के आदेश दिए। परिवहन मंत्री बिभूति भूषण जेना ने माना कि फर्जीवाड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा, “अब केवल स्थायी पहचान पत्र पर ही सब्सिडी दी जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”

    ओडिशा ने 2021 में नई ईवी नीति लागू की थी, जिसमें दोपहिया पर 20,000 रुपये, तिपहिया पर 30,000 रुपये और चारपहिया पर डेढ़ लाख रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान है। यही कारण है कि आंध्र और छत्तीसगढ़ के खरीदार बड़ी संख्या में ओडिशा आकर वाहन खरीद रहे हैं, क्योंकि उनके राज्यों में ऐसी कोई योजना नहीं है।

    ईवी शोरूम संचालकों ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की है। बेरहामपुर के एक शोरूम मैनेजर सीएच सागर ने बताया, “आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ ही नहीं, महाराष्ट्र तक से ग्राहक हमारे पास आ रहे हैं। करीब 15-20 लोग हर महीने आसपास के राज्यों से आते हैं।”

    बरगढ़ के निवासी किरण मिश्रा का कहना है, “ओडिशा नंबर पाने के लिए ग्राहक दस्तावेज़ों में हेरफेर कर रहे हैं, फर्जी इनवॉइस बना रहे हैं और वाहन कागजात तक से छेड़छाड़ कर रहे हैं।”सरकार अब मामले की जांच में जुटी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि इस खेल के पीछे कहीं कोई संगठित गिरोह तो सक्रिय नहीं है।