Odisha Weather कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव आज भुवनेश्वर सहित पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। भोर तीन बजे से ही नदी जलाशय व तालाबों के किनारे महिलाएं पुरुष व बच्चों का तांता लगना शुरू हो गया। सभी ने कागज केले के छिलके सोल आदि से बनी नाव में दीप जलाकर बहाए। इस दौरान आतिशबाजी भी की गई।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 27 Nov 2023 10:13 AM (IST)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के साथ पूरे प्रदेश में सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा उत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया है। आ का बा बोई-- पान गुआ थोई, पान गुआ तोर, मास क धरम मोर-- के उद्घोष के साथ ओडिशा के गांव से लेकर राजधानी तक लोगों ने जलाशयों में नाव बहाए। जलाशय, नदी, समुद्र का किनारा आज इस अवसर पर लोकारण्य हो गया था।
श्रद्धा भाव से लोग कर रहे पर्व का पालन
सोमवार भोर तीन बजे से ही महिलाएं, पुरुष व बच्चे घर से जलाशय पहुंचना शुरू कर दिए और कागज, केले छिलके, सोल आदि से बनी नाव नाव में दीप जलाकर बहाए।
पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ लोगों ने इस पर्व का पालन किया। जलाशयों के पास आतिशबाजी की। उत्सव का आनंद लिया और राज्य के समृद्ध समुद्री इतिहास को याद किया।
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बड़ी संख्या में नदी में नाव बहा रहे लोग
भुवनेश्वर के बिंदुसागर में लोगों नाव बहाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। लोग बिंदुसागर तट पर जमा हो गए और नौका बहाने के साथ ही भगवान लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह स्थिति केवल भुवनेश्वर में ही नहीं, बल्कि प्रदेश के तमाम जलाशय, नदी, समुद्र, पोखर में देखने को मिली।
कटक के गडगड़िया घाट के दृश्य भुवनेश्वर से काफी मिलते-जुलते थे, जहां हजारों धार्मिक पुरुषों और महिलाओं ने अपनी नावें बहाई। पारादीप, गोपालपुर, राउरकेला और राज्य के अन्य हिस्सों में भी बोइत बंदाण समारोह आयोजित किया गया। पुरी के श्रीमंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आज राजराजेश्वर बेश को देखने पहुंचे।
हिंदुओं के सबसे पावन महीनों में से एक कार्तिक मास
कार्तिक महीने को पूरे भारत के साथ-साथ ओडिशा में हिंदुओं के बीच सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। लोग इस महीने के दौरान मांसाहारी भोजन तो दूर की बात है लहसून प्याज भी नहीं खाते हैं।आध्यात्मिक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखते हैं। इस महीने के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अवधि पंचचुका का पांच दिवसीय अवलोकन है, जो कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है।
इस वजह से मनाया जाता है बोईत उत्सव
गौरतलब है कि प्राचीन काल के दौरान 'साधबा' के रूप में जाने जाने वाले समुद्री व्यापारी, हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन बाली, सुमात्रा, इंडोनेशिया और जावा आदि देश में व्यापार के लिए नौका से यात्रा करते थे। इस परंपरा को याद करने के लिए प्रति वर्ष प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा के दिन बोईत बंदाण उत्सव मनाया जाता है।
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