PM Awas Yojana: पीएम आवास योजना में हुई है बड़े पैमाने पर धांधली, CAG की रिपोर्ट से सच आया सामने
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में एक अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) लागू की जा रही है जिसका उद्देश्य जर्जर और कच्चे मकानों में रहने वालों को 2022 तक बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध कराना है। सीएजी ने आठ जिलों में 2016-17 और 2020-21 के बीच पीएम आवास योजना के कार्यान्वयन का ऑडिट किया है।
By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Thu, 05 Oct 2023 05:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर: ओडिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बड़े पैमाने पर धांधली किए जाने की बात सीएजी रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट से पता चला है कि किसी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए दुकान में घर बनवा लिया है तो किसी ने बिना घर बनवाए ही पैसे उठा लिया है। इतना ही नहीं, कहीं पर ग्रामसभा द्वारा अनुमोदित सूची को प्रखंड अधिकारी अस्वीकार करते हुए अयोग्य हिताधिकारियों की सूची को शामिल किए हैं।
कैग ने पेश की तीन रिपोर्ट
इतना ही नहीं, कहीं पर तो बिल्कुल सूची में नाम भी नहीं है और पीएम आवास योजना के तहत घर आवंटित कर दिए गए हैं। यह तमाम धांधली की सच्चाई सीएजी ऑडिट रिपोर्ट से सामने आई है। जानकारी के मुताबिक विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा में सार्वजनिक और सामाजिक क्षेत्र पर कैग (सीएजी) की तीन रिपोर्ट पेश की गईं। मार्च 2021 के अंत में, स्वायत्त निकायों (पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों) पर आधारित कैग की रिपोर्ट में राज्य में लागू की जा रही पीएम आवास योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया गया है।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में एक अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य जर्जर और कच्चे मकानों में रहने वालों को 2022 तक बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध कराना है। सीएजी ने बालेश्वर, भद्रक, बौद्ध, कालाहांडी, मयूरभंज, नुआपड़ा और सोनपुर नामक आठ जिलों में 2016-17 और 2020-21 के बीच पीएम आवास योजना के कार्यान्वयन का ऑडिट किया है। प्रत्येक जिले और पंचायत समितियों (ब्लॉक) से तीन ग्राम पंचायतों में ऑडिट किया गया है।
केंद्र ने राज्य सरकार को दिया था निर्देश
ऑडिट में पता चला कि पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के चयन के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से ग्रामसभा में सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी-2011 सूची) और स्थायी प्रतीक्षा सूची के अंतिम आंकड़ों के साथ पात्र लाभार्थियों की पहचान करने के लिए कहा था। हालांकि, ग्रामसभा द्वारा पहचाने गए 8.59 लाख लाभार्थियों को राज्य सरकार द्वारा स्थायी प्रतीक्षा सूची से अनियमित रूप से बाहर कर दिया गया। इसी तरह, राज्य सरकार द्वारा मार्च 2021 के अंत तक स्थायी प्रतीक्षा सूची को अंतिम रूप नहीं दिए जाने के कारण स्वीकृत 5.27 लाख घरों को वापस करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर पात्र लाभार्थियों की पहचान करने में राज्य के विफल रहने के कारण 12.25 लाख लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची में शामिल नहीं किया जा सका और वे योजना से वंचित रह गए। पीएम आवास योजना के लिए निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए कई अपात्र लाभार्थियों को घर आवंटित किए गए हैं। हालांकि, ग्रामसभा ने 27.45 लाख पात्र लाभार्थियों की पहचान की थी, लेकिन राज्य की स्थायी प्रतीक्षा सूची में 31 मार्च, 2021 तक 18.86 लाख लाभार्थी थे, इसलिए 8.59 लाख लाभार्थी छूट गए थे।
2.58 लाख घर अधूरे
केंद्र सरकार द्वारा इन लाभार्थियों को कवर करने के लिए चार बार आवास योजना की खिड़की खोलने के बावजूद, राज्य सरकार इन लाभार्थियों को इसमें शामिल करने में विफल रही। ऑडिट में पाया गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य अल्पसंख्यकों को महत्व देते हुए पंचायत स्तर पर प्राथमिकता सूची तैयार नहीं की गई थी। वर्ष 2016-21 के दौरान 18.38 लाख घरों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें से 15.80 लाख घर पूरे हो गए थे और 2.58 लाख घर अधूरे थे।
लेकिन सरकार ने इस डेटा में भी छेड़छाड़ किया है। ऑडिट से पता चला है कि आठ जिलों में 7.31 लाख घरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1.04 लाख घर अधूरे हैं। कुछ परिवारों के लिए, वित्तीय किस्तों के भुगतान की अवधि में अधिकतम चार साल से अधिक यानी 1576 दिन लग गए हैं। सरकार ने बीजू पक्का घर और पीएम आवास योजना की संयुक्त ब्रांडिंग के लिए लोगो की खरीद पर 8.74 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लोगों को 62 रुपये से 584 रुपये के बीच खरीदा गया है।
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