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कहां है चाबी...? ओडिशा में चुनावी माहौल के बीच फिर से उठा रत्‍न भंडार का मामला, अब धर्मेंद्र प्रधान ने छेड़ दी बात

ओडिशा में चुनावी माहौल के बीच पुरी जगन्‍नाथ मंदिर का रत्‍न भंडार प्रसंग एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे को उठाया है। ऐसे में अब मंदिर के सेवकों ने इस रहस्‍य से जल्‍द पर्दा उठाने की मांग की है। रत्‍न भंडार को आखिरी बार सन् 1978 में खोला गया था।

By Sheshnath Rai Edited By: Arijita Sen Updated: Mon, 13 May 2024 04:21 PM (IST)
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फिर चर्चा में पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार प्रसंग

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार का प्रसंग एक बार फिर चर्चा में आ गया है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में इस मुद्दे को उठाकर राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था। इसके बाद केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस मुद्दे को इसजोर-शोर से उठाया। रत्न भंडार का मामला अब राजनीतिक प्रसंग बन गया है और दोनों ही पार्टी एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

मंदिर के सेवकों ने की रहस्‍य से पर्दा उठाने की मांग

ऐसे में पुरी जगन्नाथ मंदिर के सेवकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। रत्न भंडार एक संवेदनशील प्रसंग होने से इसके ऊपर से जल्द से जल्द रहस्य हटाने की मांग पुरी जगन्नाथ मंदिर के सेवको ने की है।

जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवक हजुरी कृष्ण खुंटिया ने कहा है कि गजपति महाराज ने जब श्रीमंदिर प्रशासन को श्रीमंदिर का दायित्व सौंपा थे उस समय रत्न भंडार के रत्नों की सूची भी सौंपी थी कि नहीं, उस संदर्भ में गजपति महाराज को भी बताना चाहिए। जब तक रत्न भंडार नहीं खोला जाता है, तब तक रत्न सुरक्षित है या नहीं कैसे कह सकते हैं।

रत्‍न भंडार खोल गहनों के मिलाप की भी कही जा रही बात

सवाल है कि मंदिर प्रशासन के पास सूची है तो फिर सूची अनुसार रत्नों को मिलाप करने कहां समस्या है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे घर की चाभी गायब हो जाती है तो फिर घर का दरवाजा तो खोलते ही है। ऐसे मेंं चाभी के गायब होने या डुप्लीकेट चाभी होने की बात कहकर इस प्रसंग को अटकाना ठीक नहीं हैं।

बारंबार यह सवाल उठ रहा है कि महाप्रभु का रत्न सुरक्षित एवं संरक्षित है या नहीं, प्रत्येक भक्त को रत्नों की सूची के बारे में जानने का अधिकार है। श्रीमंदिर संचालन कमेटी इस संदर्भ में चर्चा कर स्पष्ट करना चाहिए।

अन्य एक वरिष्ठ सेवक ने विनायक दासमहापात्र ने कहा है कि निश्चित रूप से रत्न भंडार खोलकर उसकी गिनती की जानी चाहिए। ऐसे नहीं होता है तो सभी लोग संदेह के घेरे में रहेंगे।

रत्‍न भंडार खोलने के लिए उच्‍च स्‍तरीय कमेटी का गठन

गौरतलब है कि हाईकोर्ट द्वारा श्रीजगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार संबंधित निर्देश के बाद पिछले मार्च महीने में रत्न भंडार खोलने को लेकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरिजित पशायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय कमेटी गठन की गई थी। यह कमेटी रत्न भंडार में मौजूद महाप्रभु के अलंकार एवं मूल्यवान वस्तु की सूची बनाने के कार्य की निगरानी करेगी।

1978 में आखिरी बार खोला गया था रत्‍न भंडार

यहां उल्लेखनीय है कि 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार खोला गया था। इसके बाद रत्न भंडार खोलने के लिए 2018 में प्रयास हुआ था। किन्तु चाभी ना मिलने से 17 सदस्यीय टीम वापस लौट आयी। इसके बाद रत्न भंडार के ना खोलने और चाभी गायब होने के प्रसंग को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी हुई।

सरकार ने जस्टिस रघुवर दास आयोग का गठन किया। 6 महीने के अंदर ने अपनी रिपोर्ट दी। बावजूद इसके 2018 से अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसे में बार बार इस प्रसंग को लेकर राजनीतिक नेताओं ने सवाल खड़े किए।

अब चुनावी माहौल में भी महाप्रभु जगन्नाथ के रत्न भंडार के चाभी गायब होने का मुद्दा छाया हुआ है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनसभा में इस मुद्दे को उठाकर नवीन सरकार पर सीधा हमला बोला था।

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