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Scrub Typhus: आखिर क्‍यों ओडिशा में स्‍क्रब टाइफस की चपेट में आ रहे लोग, केंद्रीय जांच दल की रिपोर्ट से खुल गईं आंखें

ओडिशा में इस साल 2800 से अधिक लोग स्क्रब टाइफस बीमारी की चपेट में आए हैं जो पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी अधिक है। लोगों के अधिकाधिक संख्‍या में संक्रमित होने की क्‍या वजह है असकी जांच करने राज्‍य में आई केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कई चीजों को संक्रमण के लिए दोषी ठहराया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 27 Oct 2023 10:20 AM (IST)
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ओडिशा में स्‍क्रब टाइफस को लेकर केंद्रीय जांच दल की रिपोर्ट।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। स्क्रब टाइफस के संक्रमण के पीछे बाहर शौच करना, घास में सोना, बैठना, नंगे पैर चलना प्रमुख कारण है। यह हम नहीं, बल्कि केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल पश्चिमी ओडिशा की स्थिति का आकलन करने के बाद यह जानकारी दी है।

स्‍क्रब टाइफस का मुद्दा चिंता का कारण

प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई रोगियों का देर से परीक्षण और उपचार भी बीमारी की गम्भीर स्थिति के लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानसून के मौसम से पहले बड़े पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।

केंद्र की इस तरह की रिपोर्ट के बाद स्क्रब टाइफस का मुद्दा राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण बन गया है। इस साल स्क्रब टाइफस के प्रकोप से प्रदेश में हड़कंप मच गया था।

खासकर पश्चिमी ओडिशा के विभिन्न जिलों में स्क्रब टाइफस से लोग परेशान नजर आए। केंद्रीय दल ने पश्चिमी ओडिशा के कई जिलों का दौरा करने के बाद घटना को लेकर राज्य सरकार के साथ चर्चा की।

जल्‍द एक और रिपोर्ट सौंपेगी टीम

इस वर्ष सुंदरगढ़ जिले में बड़ी संख्या में स्क्रब टाइफस के मामले सामने आए और चार मौतें भी हैं। ऐसे में सुंदरगढ़ जिले को फोकस में रखते हुए एक प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की गई है। हालांकि, रिपोर्ट न केवल सुंदरगढ़ के लिए, बल्कि पश्चिमी ओडिशा के लिए भी गंभीर स्थिति की ओर इशारा करती है।

केंद्रीय टीम ने झारसुगुड़ा, बरगढ़, सुंदरगढ़ और संबलपुर जिलों का दौरा किया, जबकि बाद में दो अधिकारियों को स्क्रब टाइफस से संबंधित महामारी की जांच के लिए सुंदरगढ़ जिले में भेजा गया। उन्होंने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की है। हालांकि, पूरी टीम की तरफ से जल्द ही एक और रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।

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स्‍क्रब टाइफस की चपेट में बड़ी संख्‍या में आए लोग

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष सुंदरगढ़ जिले में 400 से अधिक मरीजों की पहचान हुई है। केवल कोइडा ब्लॉक को छोड़ दें तो अन्य सभी ब्लॉक स्क्रब टाइफस से प्रभावित हुए हैं।

15 वर्ष से कम 30 प्रतिशत, 31 से 45 वर्ष के 23 प्रतिशत तथा 46 से 70 वर्ष के बीच 17 प्रतिशत लोग इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं। जितने मरीजों की पहचान हुई है, उनमें से 50 प्रतिशत घास में बैठने, सोने, खाली पैर चलने या जंगलों के रास्ते आने-जाने के समय बीमार पड़े हैं।

इस वजह से बढ़ रहा है बीमारी का खतरा

रिपोर्ट में कहा गया है कि 49 प्रतिशत लोग बाहर में शौच करते हैं। अगस्त एवं अक्टूबर के बीच जिन चार लोगों की स्क्रब टाइफस से मौत हुई है इन सब की जांच प्रक्रिया देरी से की गई। इनकी आयु 28 से 65 वर्ष के भीतर है।

कई बीमार लोग देर से जांच करने के साथ ही अस्पताल में देरी से भर्ती हुए हैं। जिन लोगों का समय से परीक्षण किया गया वे स्वस्थ हो गए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्थानीय लोग जंगल, कृषि क्षेत्र, चूहा एवं घरेलू जानवर, खाली पर चलने, शरीर को खुला रखने, कमजोर परिमल व्यवस्था के कारण संक्रमित हुए हैं।

संक्रमण होने का यह भी है एक बड़ा कारण

बीमारी से पीड़ित लोगों के खुले में शौच करने की वजह से भी स्क्रब टाइफस फैलने की संभावना हो सकती है। ऐसे में परिमल व्यवस्था को दुरुस्त करने को कहा गया है। लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

बीमारी फैल रही है ऐसे में डॉक्टरों को पहले ही संदिग्ध लोगों की टेस्टिंग करने की जरूरत है। इसी तरह से स्क्रब टाइफस से गंभीर मरीजों की रेफरल सहित आईसीयू व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है।

जागरूकता अभियान में तेजी लाने की आवश्‍यकता

गौरतलब है कि इस वर्ष ओडिशा में भुवनेश्वर के साथ राज्य भर में 2800 से अधिक लोग स्क्रब टाइफस बीमारी से लोग पीड़ित हुए हैं। 2022 की तुलना में इस वर्ष पीड़ितों की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच व्यापक जागरूकता की कमी देखी गई है। सरकार की तरफ से जिस प्रकार से जागरूकता अभियान चलाना चाहिए उस तरह से जागरूकता कार्यक्रम देखने को नहीं मिला है।

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