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ओडिशा विधानसभा में छह विधेयक पारित; चर्चा में भाग नहीं लिए कांग्रेस के विधायक, जानें किस पर जताई गई आपत्ति

ओडिशा विधानसभा में छह विधेयक पारित किए गए हैं। विधानसभा में जब विभागीय मंत्री विधेयक पेश कर रहे थे तब कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने इसका विरोध किया। उन्‍होंने कहा कि विधेयक पर चर्चा के लिए हमें क्‍यों नहीं बुलाया गया। इस दिन कांग्रेस विधायक नाराज होकर सदन से वॉकआउट कर गए। उन्‍हें मनाने की कोशिश की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

By Sheshnath RaiEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 27 Sep 2023 11:53 AM (IST)
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ओडिशा विधानसभा में छह विधेयक पारित किए गए।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा में छह विधेयक पारित किए गए हैं। इनमें ओडिशा वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक- 2023, ओडिशा अपार्टमेंट (स्वामित्व और प्रबंधन) विधेयक- 2023, ओडिशा नगरपालिका कानून (संशोधन) विधेयक- 2023, ओडिशा आरक्षण में खाली पड़े पद एवं सेवा (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए) अधिनियम, संशोधन अधिनियम 2023, ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अधिनियम- 2023, न्यायोचित क्षतिपूरण अधिकार एवं भू अर्जन, पुनर्वास एवं पुनर्वास क्षेत्र में ईमानदारी (ओडिशा संशोधन) विधेयक- 2023 शामिल हैं।

कांग्रेस विधायकों का सदन से वॉकआउट

हालांकि, विधानसभा में विभागीय मंत्री द्वारा यह विधेयक पेश करते समय कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस पर अभी तक चर्चा नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि हमें विधेयक पर चर्चा के लिए क्यों नहीं बुलाया जा रहा है? विधानसभा में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रमिला मलिक ने कहा कि आप में से किसी ने भी चर्चा करने के लिए हाथ नहीं उठाया इसलिए मैंने किसी को नहीं बुलाया। यदि किसी को कुछ कहना है, तो विधेयक के पारित होने के समय चर्चा में भाग लें।

(इसका प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस के विधायकों ने वॉकआउट किया। कुछ देर बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री निरंजन पुजारी और सत्तारूढ़ पार्टी के मुख्य सचेतक प्रशांत मुदुली को कांग्रेस विधायकों को मनाने के लिए भेजा। हालांकि, कांग्रेस विधायक सदन में वापस नहीं आए।

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सदन में भाजपा विधायकों का हंगामा

उधर, विधेयक पेश किए जाने के दौरान चर्चा नहीं होने पर भाजपा विधायकों ने भी अपनी सीटों पर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन जब अध्यक्ष ने उन्हें आश्वासन दिया कि विधेयक पारित होने पर उन्हें बोलने का मौका मिलेगा, तो वे बैठ गए।

इसके बाद भाजपा विधायकों ने विधेयक पारित होने के समय उसमें संशोधन करने के लिए इसे चयन समिति के पास भेजने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।

विभागीय मंत्रियों ने जवाब दिया और विधानसभा अध्यक्ष से भाजपा विधायकों के विरोध प्रदर्शन को खारिज करने का आग्रह किया। सभी विधेयक को पारित कर दिया गया।

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