ओडिशा में कोरोना जैसी बीमारी से दहशत, अब तक नहीं बना है इसका कोई टीका, बचने का बस यही है उपाय
ओडिशा में इन दिनों स्क्रब टाइफस का आतंक कहर बरपा रहा है। इसके लक्षण काफी हद तक कोरोना से मिलते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है। इसकी चपेट में आए व्यक्ति के संपर्क में आने पर यह दूसरे को भी हो जाता है। इसका अभी तक कोई टीका भी नहीं निकला है। इससे बचाव से एकमात्र इसका इलाज है इसलिए लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
जासं, राउरकेला। सुंदरगढ़ में स्क्रब टाइफस के पांच नये मरीज सामने आये हैं। कल 42 लोगों का परीक्षण किया गया। उनमें से 5 को स्क्रब टाइफस से संक्रमित बताया गया है। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक सुंदरगढ़ में 211 स्क्रब टाइफस रोगियों की पहचान की गई है, जो राज्य में सबसे अधिक संख्या है।
हर रोज आ रहे स्क्रब टाइफस के मामले
गौरतलब है कि रविवार को 11, सोमवार को 3, मंगलवार को 10, बुधवार को 7 और गुरुवार को 6 पॉजिटिव मिले थे। इसके साथ ही संक्रमण की चपेट में आए लोगों की संख्या 211 तक पहुंच गई है। कल तक संक्रमित हुए लोगों में से 10 लोग दूसरे राज्यों के हैं। जबकि 9 अन्य जिलों के हैं।
सीडीएमओ ने लोगों को जागरूक करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे विभिन्न उपायों की जानकारी दी। हालांकि, हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग चिंतित है।
क्या है स्क्रब टाइफस
यह एक संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर स्क्रब यानी कि झाड़ियों में पाए जाने वाले संक्रमित माइट या पिस्सू (घुन जैसे छोटे कीट) के काटने से फैलता है।
इनमें ओरेंशिया सुसुगेमोसी (Orientia tsutsugamushi) नामक बैक्टीरिया होता है, जो इसके काटने के साथ खून में प्रवेश कर जाता है।
जिस स्थान पर यह कीट काटती है, वह जगह लाल पड़ जाता है और बाद में काली पपड़ीनुमा निशान सा बन जाता है। भारत के अलावा यह चीन, जापान, साउथ ईस्ट एशिया, नॉर्थ ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।
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क्या है इसके लक्षण
- बुखार
- ठंंड लगना
- सिरदर्द
- बदन दर्द
- सूखी खांसी
- सांस लेने में तकलीफ
- शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स का कम होना
- जिस जगह काटा हो वहां चकत्ते पड़ जाना
- खून में एल्बुमिन का स्तर बढ़ना
कैसे बचें
- साफ-सफाई का ध्यान रखें
- खेतों या घास के मैदान में जाते समय जूते पहनें
- फुल बांह की शर्ट और पैंट पहनें
- सीलन वाली जगहों में जानें से बचें
- गीली मिट्टी में जानें से बचें
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