आखिर क्यों सक्रिय राजनीति में नहीं आए पांडियन? जानें 5-टी और नवीन ओडिशा के चेयरमैन के रूप में कितना होगा वेतन
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी तथा फाइव टी सचिव वीके.पांडियन सोमवार को आईएएस कैडर से सेवानिवृत्ति ले ली है। उन्हें अब कैबिनेट मंत्री के पद पर 5-टी और नवीन ओडिशा के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया गया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इसकी आड़ में राज्य के सभी विभागों में उनका नियंत्रण सुपर मिनिस्टर के रूप में होगा।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। केन्द्रीय नियंत्रण से मुक्त होने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वी.के.पांडियन अब राज्य शासन में नंबर दो की भूमिका में नजर आएंगे क्योंकि अनुभवी प्रशासक वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
अब सिर्फ मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे पांडियन
पांडियन सक्रिय राजनीति में शामिल हुए बिना राज्य सरकार के 'नंबर दो' के रूप में कार्य करेंगे। वह केवल मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे।
शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी औपचारिक अधिसूचना में यह संदेश प्राप्त हुआ है।
इतना ही नहीं, अखिल भारतीय सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद पांडियन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हट गया है और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विपक्ष से नौकरशाह का मुद्दा छीन लिया है।
सुपर मिनिस्टर जैसा होगा पांडियन का विभागों पर नियंत्रण
राज्य सरकार के 'नंबर दो' के रूप में मंत्रियों, मुख्य सचिव और डीजीपी से लेकर पूरे राज्य को उनके सामने पेश होना होगा।
सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों 'फाइव-टी' और 'नवीन ओडिशा' के अध्यक्ष होने की आड़ में पांडियन का सभी विभागों पर सुपर मिनिस्टर जैसा नियंत्रण होगा।
अब इतना होगा वीके पांडियन का वेतन
पांडियन अखिल भारतीय सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बावजूद प्रशासक के रूप में काम करना जारी रखेंगे। फर्क सिर्फ इतना है कि केंद्र सरकार का अब उन पर नियंत्रण नहीं रहेगा।
कैबिनेट रैंक के मंत्री के रूप में वह अब सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करके पूरे राज्य को अपने सीधे नियंत्रण में रख सकेंगे। इसके लिए सरकार उन्हें कैबिनेट मंत्रियों की तरह अन्य लाभ सहित करीब 98 हजार रुपये वेतन देगी।
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मुख्यमंत्री के अधीन रहेंगे पांडियन
बहरहाल, ऐसी चर्चा थी कि चुनावी वर्ष में सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की अनुमति मिलने के बाद पांडियन प्रत्यक्ष राजनीतिक भूमिका में होंगे।
लेकिन पांडियन ने सक्रिय या प्रत्यक्ष राजनीति में शामिल हुए बिना हमेशा की तरह प्रशासक बने रहने का एक तरीका खोज लिया है।
जहां उन पर किसी का कानूनी नियंत्रण नहीं होगा। वह सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करेंगे और उनके द्वारा किए जाने वाले हर प्रशासनिक और विकास कार्यों में केवल मुख्यमंत्री की मुहर लगेगी। यानी वह जो भी फैसला करेंगे, फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होंगे, न कि उनके।
Centre approves the voluntary retirement of IAS officer VK Pandian, who has been currently serving as private secretary to Odisha Chief Minister Naveen Patnaik. pic.twitter.com/XbjSosYmhT— ANI (@ANI) October 23, 2023
किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे पांडियन
उन पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं होगा और न ही वह किसी के प्रति जवाबदेह होंगे। केवल मुख्यमंत्री ही उनके काम की निगरानी और समीक्षा कर सकते हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मंगलवार को जारी आदेश से भी यही संदेश गया है। पांडियन को नवीन ने संवैधानिक ढांचे में नई नियुक्ति दी है, जिसे बाद में कैबिनेट की मंजूरी मिलने की बात कही जा रही है।
पांडियन राज्य सरकार के काल्पनिक फ्लैगशिप कार्यक्रमों 'फाइव-टी' और 'नवीन ओडिशा' के अध्यक्ष के रूप में कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करेंगे। राज्य सरकार के ये दोनों कार्यक्रम केवल कल्पनाशील हैं और अभी तक 'फाइव-टी' या 'नवीन ओडिशा' का विभाग या निदेशालय का कोई सेक्शन नहीं है।
सरकार सभी विभागों में शासन चलाने की रणनीति के तहत 'फाइव-टी' को लागू करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसलिए इस 'फाइव-टी' के जरिए पांडियन का सभी विभागों पर सीधा नियंत्रण होगा और उन्हें सुपर मिनिस्टर की तरह काम करने का औपचारिक मौका मिलेगा।
इसके अलावा, ओडिशा के विकास को गति देने के लिए 'नवीन ओडिशा' की अवधारणा केवल कल्पना मात्र है। ऐसे कार्यक्रम केवल पंचायती राज विभाग तक ही सीमित थे, जिन्हें अब 'न्यू ओडिशा' के सपने के साथ हर विभाग में लागू किया जाएगा और यह संदेश दिया जाएगा कि भविष्य में जो भी विकास कार्य होंगे, वे 'नवीन ओडिशा' के लिए 5-टी मॉडल पर किए जाएंगे। चर्चा है कि पांडियन इस सब में सर्वशक्तिमान होंगे।
इस वजह से सक्रिय राजनीति में नहीं आए पांडियन
सवाल यह है कि पांडियन नौकरी छोड़ने के बाद सक्रिय रूप से राजनीति में क्यों नहीं आए? ऐसे सवाल स्वाभाविक भी हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पांडियन पर्दे के पीछे से बीजेडी के सर्वशक्तिमान के रूप में काम कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि बीजेडी में सारे फैसले उनके हैं और इस पर मुहर लगाने वाले नवीन ही हैं इसलिए वह चाहे किसी भी पद पर हों, बीजद पर उनका पूरा नियंत्रण हो सकता है।
अब सरकारी मशीनरी पर नियंत्रण जरूरी था और नवीन के प्रतिनिधि और उत्तराधिकारी के रूप में एक चेहरे की जरूरत थी इसीलिए चर्चा है कि पांडियन ने केंद्र सरकार के अनुशासन से बाहर निकलने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी है।
राज्य के शासन में मंत्रियों से लेकर मुख्य सचिव, डीजीपी और विभिन्न विभागों के सचिवों को अब औपचारिक रूप से उन्हें रिपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
हालांकि, वे अभी भी पर्दे के पीछे से पांडियन को ही रिपोर्ट कर रहे हैं, अब वे सीधे और कानूनी रूप से ऐसा करेंगे।
पांडियन को 'बॉस' के रूप में स्वीकार करने में उनसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अक्सर प्रशासनिक बाधाओं का सामना करना पड़ता था, जो अब दूर हो गया है।
नवीन के बाद पांडियन राज्य के शासन में दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सभी सरकारी आदेश और निर्णय लिए हैं। उनके आदेशों के आधार पर राज्य प्रशासन को कानूनी रूप से कार्य करने के लिए मजबूर किया जाएगा।
हालांकि, 2024 के आम चुनाव के नतीजे आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि पांडियन की असली भूमिका क्या होगी। लेकिन इससे पहले अब यह साफ हो गया है कि पांडियन सीधी राजनीतिक भूमिका निभाकर बीजेडी के लिए किसी संकट का कारण नहीं बनेंगे।
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