कैसा था टनल के अंदर मजदूरों का अनुभव, 10 दिनों तक मुढ़ी खाकर किया गुजारा; एक-दूसरे की करते रहे हौसला अफजाई
17 दिन तक चौबीसों घंटे के संघर्ष के बाद आखिरकार कल रात उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया। यह पल काफी भावुक कर देने वाला रहा। चारों ओर खुशी का माहौल रहा और लोगों ने राहत की सांस ली। इन्हीं मजदूरों में से एक ओडिशा के धीरेन नायक भी रहे जिन्होंने 17 दिनों के अनुभव को साझा किया।
By Sheshnath RaiEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 29 Nov 2023 04:22 PM (IST)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। 17 दिन तक चौबीसों घंटे के संघर्ष के बाद असंभव आखिरकार संभव में बदल गया। 41 मजदूरों ने सुरंग के अंधेरे से बाहर निकलकर रोशनी देखी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 मजदूरों को कल रात सुरक्षित निकाल लिया गया, जिससे पूरे देश में जश्न का माहौल है। 41 मजदूरों में से पांच ओडिशा के हैं।
धीरेन ने बताया अपना खौफनाक अनुभव
उड़िया मजदूर धीरेन नायक ने सुरंग से बाहर आने के बाद पिछले 17 दिनों का अपना अनुभव बताया। मयूरभंज जिले के उडाला के धीरेन करीब तीन साल से वहां काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें पहले कभी इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था।
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ऐसे बाहर लोगों को पता चला मजदूरों के अंदर फंसने की बात
उन्होंने कहा कि हम 11 नवंबर को रात 8 बजे काम पर गए थे। हालांकि, काम से जब हम वापस लौट रहे थे तो सड़क बंद हो चुकी थी। हमें 18 घंटे तक ऑक्सीजन नहीं मिल सकी।
इसके बाद हमने अपनी बुद्धि का उपयोग किया और सुरंग के अंदर पंप को चलाकर पाइप के माध्यम से पानी छोड़ा। नतीजतन, कंपनी के कर्मचारियों को बाहर पता चला कि हम फंस गए हैं।
दस दिन भेजी गई सुरंग के अंदर दाल-रोटी
धीरेन ने कहा है कि सबसे पहले, उसी पाइप के माध्यम से बाहरी दुनिया के साथ संचार किया गया था। उस पाइप के जरिए ही दाना, काजू, किशमिश और चना हमारे पास पहुंचा। पहले 10 दिनों हमने इसे खाकर दिन बिताया।
इसके बाद छह इंच का पाइप डाला गया और उसके जरिए चावल, रोटी और दाल हमें भेजी गई। ऐसी कठिन स्थिति में हम जिंदगी और मौत से संघर्ष करते रहे। हालांकि, सुरंग के अंदर पानी और लाइन नहीं कटी थी।
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