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शिव भक्‍तों के लिए कावड़ी बनाने के एक्‍सपर्ट हैं मोहम्‍मद सरवर, कहते हैं- पुण्‍य का काम है, आशीर्वाद मिलेगा

Odisha News कटक में रहने वाले मुसलमान कारीगर मोहम्मद सरवर हिंदू भाइयों के लिए कावड़ी तैयार करने का काम सालों से कर रहे हैं। इसके जरिए वह लोगों को भाईचारे का एक अनोखा संदेश दे रहे हैं। सरवर का परिवार बिहार में रहता है जबकि वह यहां कटक में रहकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं। उनका मानना है कि कावड़ी बनाना पुण्‍य का काम है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 25 Aug 2023 11:33 AM (IST)
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कावड़ी बनाने का काम करते हुए सरवर की तस्‍वीर।
संवाद सहयोगी, कटक। Odisha News: जहां एक ओर देश के विभिन्न जगहों पर मजहब को लेकर सांप्रदायिक हिंसा भड़की हुई है। वहीं कटक में रहने वाले एक मुसलमान कारीगर मोहम्मद सरवर हिंदू भाइयों के लिए कावड़ी तैयार कर भाईचारे का एक अनोखा संदेश लोगों को दे रहे हैं।

20 सालों से कावड़ी बना रहे हैं मोहम्‍मद सरवर

सावन के महीने में कावड़ी की काफी मात्रा में जरूरत होने के कारण उसको पूरा करने के लिए सरवर दिन-रात एक कर काम करते हैं। इस साल जोड़ा सावन के चलते 2 महीने की कावड़ी यात्रा है। पिछले 20 सालों से कटक सीडीए इलाके में रहने वाले 42 वर्षीय महम्मद सरवर हर साल श्रद्धालुओं के लिए कावड़ी बनाते आ रहे हैं। सरवर रोज 2 से 3 सुंदर कावड़ी बना लेते हैं।

डिजाइन वाले कावड़ी में सांप, डमरू, त्रिशूल आदि रहता है, जो कि भगवान शिव के भूषण हैं। उसकी एक स्वतंत्र झलक कावड़ी में देखने को मिलता है। अगर सादा-सीधा कावड़ी बनाना हो, तो दिन में सरवर 5 से 7 कावड़ी आसानी से बना रहे हैं। जबकि उनके पास अलग-अलग डिजाइन के कावड़ी बनाने के लिए ऑर्डर आते रहते हैं, जिन्‍हें वह घंटों मन लगाकर काम कर पूरा करते हैं।

काम की तलाश में बिहार से कटक आए थे सरवर

यहां तक कि उसके लिए कभी-कभी उन्हें दो-तीन दिन का समय भी लग जाता है। सरवर सीडीए इलाके में मौजूद जागृति महिला मिशन शक्ति की मदद से यह कावड़ी तैयार कर रहे हैं।

जागृति महिला मिशन शक्ति के समन्वयक क्षितिज चंद्र प्रतिहारी के मुताबिक, बिहार के गया जिला अंगारा आचुकी इलाके के निवासी अहि मियां के बेटे हैं मोहम्मद सरवर, महज 22 वर्ष की उम्र में अपने भाई के साथ काम की तलाश में कटक चले आए थे।

तब से सीडीए इलाके में रहते हुए उन्‍होंने यहां पर बेंत का फर्नीचर बनाने का काम सिखा। भाई के साथ रहते हुए फर्नीचर के साथ-साथ वह लोगों के लिए कावड़ी बनाना भी शुरू किया।

कावड़ी बनाने से मुझे मिलता है पुण्‍य: सरवर

सावन के महीने में सरवर के बेंत की कावड़ी की काफी मांग रहती है। डिमांड इतनी रहती है कि उन्हें कावड़ी के अलावा दूसरा काम करने का मौका ही नहीं मिलता है। हर एक कावड़ी की कीमत 350 रुपये से शुरू होकर 2 हजार रुपये तक रहता है। सरवर का परिवार बिहार में रहता है।

सरवर के मुताबिक, इस काम से उनकी अच्छा कमाई हो जाती है और परिवार का गुजारा भी इसी से होता है, लेकिन फर्नीचर के काम में उतना तसल्ली व सुकून नहीं मिलता है, जितना कावड़ी बनाने के काम से उन्हे मिलता है। उन्हे इस कार्य से पुण्य भी मिलता है यह बात सरवर ने कही है।

सावन के महीने में लोगों को मेरे हाथों से तैयार होने वाली कावड़ी को जत्थे में ले जाते देख मुझे काफी अच्छा लगता है। दूसरे संप्रदाय से होने के बावजूद किसी पुण्‍य काम में अपनी भागीदारी होने के कारण मुझे बहुत ही आनंद मिलता है इसलिए मैं पूरे ध्यान से ही कावड़ी बनाता हूं। यह सिर्फ कमाई के लिए नहीं कर रहा हूं, बल्कि इस काम को करते मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह पुण्य का काम होने के कारण मुझे लगता है कि मुझे ईश्‍वर से आशीर्वाद भी मिल रहा है। इस काम से मैं बहुत खुश हूं और संतुष्ट भी हूं- मोहम्मद सरवर।

ईश्‍वर मुझे दे रहे हैं आशीर्वाद: सरवर

उनके मुताबिक, भगवान को मानों तो देवता है वरना पत्थर इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि यह रोजगार के साथ साथ सेवा भी है और इस सेवा कार्य के चलते मुझे भगवान का आशीर्वाद भी मिल रहा है।

उनके मुताबिक, मजहब को लेकर किसी भी तरह की भेदभाव या सांप्रदायिक हिंसा बिल्कुल गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सबको मिलजुल कर रहना चाहिए यही तो पूरे विश्व भर में हमारे देश भारत की असली पहचान है।

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