ओडिशा रेल हादसा: जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, 28 घंटे के रेस्क्यू के बाद जिंदा बचा युवक, मिली नई जिंदगी
ओडिशा रेल हादसे केबाद 28 घंटे तक यह युवक जिस जगह पर और जैसे पड़ा रहा वहां से उसका बच निकलना नामुमकिन था। मौत को चकमा देते हुए जिंदगी की जंग जीतने वाले इस युवक की चर्चा अब लोगों की जुबां पर है।
जागरण संवाददाता, बालेश्वर। बालेश्वर रेल हादसे ने आज पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसकी चपेट में आकर 275 लोगों ने अपनी जान गवां दी है। कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें ईश्वर ने दूसरी जिंदगी तोहफे में दी और अपनों से भी मिलाया। इस हादसे की चपेट में आकर एक युवक की कहानी इन दिनों चर्चा का विषय है क्योंकि वह ऐसी परिस्थितियों में से निकलकर सामने आया है, जिसमें उसका बचना एक तरह से नामुमकिन था। इससे यह कहावत जाको राखे साइयां मार सके ना कोई एक बार फिर से सच साबित होते दिखाई पड़ती है।
कटक में चल रहा युवक का इलाज
दरअसल, घटना वाली जगह बहानगा में 28 घंटे के रेस्क्यू के बाद अचानक एक 22 वर्ष के युवक का वहां पर पड़ा रहना तथा उसका उद्धार होना अपने आप में बड़ा चमत्कार माना जा रहा है।
घायल युवक को पहले सोरो के चिकित्सालय में इलाज के लिए लाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे कटक इलाज के लिए रेफर कर दिया गया।
28 घंटे के रेस्क्यू के बाद मिली दूसरी जिंदगी
फिलहाल, कटक में युवक का इलाज चल रहा है। उसके ब्रेन में हैमरेज हुआ है। 28 घंटे के रेस्क्यू के बाद इस युवक का पाया जाना एक प्रकार से भगवान का आशीर्वाद माना जा रहा है। अभी तक इस युवक की पहचान नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि वह असम का रहने वाला है। युवक का नाम दुलाई मजूमदार है और उम्र 35 साल है। इस घटना के बाद लोग अब यही कहने लगे हैं कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होई।
ट्रैक पर शुरू हुई सेवा, पीछे रह गईं पुरानी यादें
बहरहाल, अब इस रूट पर पुन: ट्रेनों की सेवा की बहाली की जा रही है। रविवार देर शाम तक बहाली का काम पूरा कर लिया गया। जिस पटरी पर से दौड़कर कोरोमंडल हादसे का शिकार हुई थी, उसी से कल रात करीब 10 बजकर 40 मिनट पर विजाग बंदरगाह या विशाखापट्टनम पोर्ट ट्रस्ट से कोयले से लदी एक मालगाड़ी ने राउरकेला स्टील प्लांट की ओर अपनी यात्रा शुरू की। सेवाओं की बहाली के दौरान केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौके पर मौजूद रहे।