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Bhubanehwar : 130 साल बाद दिसम्बर महीने में ओड़िशा तट से टकराने जा रहा है चक्रवात

ठंड महीने में बनने वाले चक्रवात को माना जाता है प्रलयंकारी। नवम्बर नहीं बल्कि दिसम्बर महीने में चक्रवात आ रहा है। सन् 1891 से 2020 के बीच दिसम्बर महीने में एक बार चक्रवात ओड़िशा तट से नहीं टकराया है। चक्रवात को लेकर भय का माहौल अभी से बन गया है।

By Vijay KumarEdited By: Updated: Wed, 01 Dec 2021 12:10 AM (IST)
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Bhubanehwar : 1964 में दिसम्बर महीने में दक्षिण अंडमान सागर एक चक्रवात बना था।
 शेषनाथ राय, भुवनेश्वर : ओडिशा में चक्रवात का आना आम बात है। हालांकि समुद्री चक्रवात कभी अक्टूबर महीने में तो कभी नवम्बर महीने में आता में है। इस बार 130 साल बाद दिसम्बर महीने में ओड़िशा के समुद्री तट से चक्रवात टकराने जा रहा है। मौसम विभाग के तथ्य के मुताबिक 1877-2005 के बीच बंगाल की खाड़ी में चक्रवात की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि सभी चक्रवात मई महीने से नवम्बर महीने के बीच आता है मगर नवम्बर में आने वाले चक्रवात का प्रभाव अधिक रहा है।

इस साल नवम्बर नहीं बल्कि दिसम्बर महीने में चक्रवात आ रहा है

इस साल नवम्बर नहीं बल्कि दिसम्बर महीने में चक्रवात आ रहा है। मौसम विभाग के आकलन के मुताबिक, यह 4 दिसम्बर को उत्तर आन्ध्र तट एवं ओड़िशा तट के बीच में स्थल भाग से टकराने का अनुमान लगाया गया है। ठंड के महीने में बन रहे चक्रवात को प्रलयंकारी माना जाता है। इसे लेकर नाना प्रकार की शंका आशंका की जा रही है। तथ्य कहता है कि बंगोप सागर में साल में 5 से 6 बार चक्रवात बनता है। अधिकांश चक्रवात मानसून के लौटने के बाद अक्टूबर एवं नवम्बर महीने में आता है।

दिसम्बर महीने में एक बार भी चक्रवात ओड़िशा तट से नहीं टकराया

सन् 1891 से 2020 के बीच दिसम्बर महीने में एक बार भी चक्रवात ओड़िशा तट से नहीं टकराया है। 130 साल के बाद पहली बार दिसम्बर महीने में चक्रवात आ रहा है। इससे पहले 1999 में सुपर साइक्लोन के साथ 2013 फाइलीन, 2014 में हुदहुद, 2019 में फनी, 2020 में अम्फन के बाद ओड़िशा अब जवाद चक्रवात का सामना करने जा रहा है।

1964 में दिसम्बर महीने में दक्षिण अंडमान सागर एक चक्रवात बना था

पिछले 130 साल में दिसम्बर महीने में बंगोप सागर कोई चक्रवात नहीं आया मगर भारत महासागर में दिसम्बर महीने में कई चक्रवात आए हैं। 1964 में दिसम्बर महीने में दक्षिण अंडमान सागर एक चक्रवात बना था। इस चक्रवात के चलते 280 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी। भारी बारिश होने के साथ ही समुद्र में लहर उठी थी।

लोगों के मन में इस चक्रवात को लेकर भय का माहौल अभी से बन गया है

23 दिसम्बर को जिस दिन चक्रवात आया था उसी रात को पाम्पन से धनुषखोड़ी जा रही ट्रेन चक्रवात के प्रभाव से समुद्र में उठे ज्वार में बह गई और ट्रेन में मौजूद 115 लोगों की मृत्यु हो गई थी। अब एक बार फिर दिसम्बर महीने में चक्रवात आ रहा है लोगों के मन में इस चक्रवात को लेकर भय का माहौल अभी से बन गया है।

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