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Odisha में माझी सरकार आने के बाद इस अस्पताल का होगा कायाकल्प! पिछले कई सालों से अटका हुआ है काम

भुवनेश्वर एम्स में नए विभाग खोलने से लेकर पुराने विभागों के विस्तार होना है और पिछले कई सालों से इसका निर्माण कार्य नहीं हो पाया है। मरीजों की संख्या के मामले में भुवनेश्वर एम्स दिल्ली एम्स के बाद देश में दूसरे नंबर पर आता है और इस कारण यहां नए विभाग का निर्माण और पुराने विभागों का विस्तार होना है जो कि कई सालों से अटका हुआ है।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Fri, 28 Jun 2024 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2024 05:20 PM (IST)
वर्तामन में मौजूदा भुवनेश्वर एम्स की फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। देश भर के 24 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में से एम्स भुवनेश्वर, एम्स दिल्ली के बाद मरीजों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है।

अस्पताल की स्थापना मरीजों की बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि नए विभाग खोलने से लेकर पुराने विभाग के विस्तार तक हर काम में जमीन की कमी यहां मुख्य समस्या बन गई है।

कुल 100 एकड़ जमीन प्रदान करने के लिए पिछली राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था, मगर अभी तक यह जमीन नहीं मिलने से समस्या जस की तस बनी हुई है।

नए एम्स मिलने की है उम्मीद

हालांकि प्रदेश में सरकार बदल गई है और नई सरकार से एम्स को जल्द जमीन मिलने की उम्मीद है। इस संदर्भ में एम्स के अधिकारियों ने नए सीएम से मुलाकात की है और नए सीएम ने इस समस्या का जल्द समाधान करने का आश्वासन दिया है।

भुवनेश्वर एम्स के अधीक्षक डॉ. दिलीप परिड़ा ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा है कि वर्तमान समय में 92 एकड़ जमीन में एम्स भुवनेश्वर अस्पताल भवन, नर्सिंग कॉलेज, आयुष भवन, बर्न सेंटर, ट्रॉमा सेंटर बने हैं।

ओपीडी के साथ 1,350 बिस्तरों वाले एम्स अस्पताल में 4,500 से 5,000 मरीज, रिश्तेदारों के साथ 4,500 कर्मचारी, 1,100 छात्र हर दिन यहां आवागमन कर रहे हैं।

अस्पताल में प्रयाप्त नहीं है जगह

ओपीडी और अस्पताल को छोड़कर यहां ट्रॉमा सेंटर में हर दिन 100 से अधिक एम्बुलेंस आती हैं। ऐसे में इतनी कम जगह अस्पताल के लिए पर्याप्त नहीं है।

दिल्ली एम्स के बाद भुवनेश्वर एम्स में प्रतिदिन मरीज आते हैं। दिल्ली एम्स में हर दिन लगभग 12 हजार मरीज आते हैं जबकि भुवनेश्वर एम्स में 5 हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं।

स्थिति यह है कि मरीजों को लगभग हर क्षेत्र में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है जैसे आपातकालीन उपचार, ओपीडी में प्राथमिक चिकित्सा, सर्जरी, दवाएं, स्वास्थ्य बीमा, परीक्षण।

आवेदन केो बाद भी नहीं मिली जमीन

यहां तक कि गंभीर मरीजों को भी सर्जरी के लिए 2-3 महीने तक इंतजार करना पड़ता है, इसलिए कई गरीब मरीज इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं।

एम्स की स्थापना के समय से ही यह महसूस किया गया था कि रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाले उपचार प्रदान करने के लिए बड़ी अवसंरचना और उसके लिए और अधिक भूमि की आवश्यकता है।

भुवनेश्वर एम्स के पहले निदेशक डॉ. अशोक महापात्र के समय से राज्य सरकार को 100 एकड़ और जमीन के लिए आवेदन दिया गया था, लेकिन यह जमीन अभी तक नहीं मिली है।

भूमि आंवटन को लेकर नहीं उठाया गया कोई कदम

डॉ. परिड़ा ने कहा कि भूमि आवंटन पर सहमति जताई गई, लेकिन इसे लागू करने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। 4 साल के लंबे संघर्ष के बाद 2 साल पहले अस्पताल के पास 26 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया। यह पर्याप्त नहीं है।

माना जा रहा है कि अगर एम्स के आसपास कुछ अप्रयुक्त सरकारी जमीन दे दी जाए तो अस्पताल का विस्तार किया जा सकता है और मरीजों को बेहतर देखभाल मिल सकती है। उदाहरण के तौर पर इस अस्पताल के पास की 8 एकड़ सरकारी जमीन का विवाद कोर्ट में लंबित है।

80 के दशक में जमीन, आज तक नहीं बना डेंटल कॉलेज

80 के दशक में इस 8 एकड़ जमीन को डेंटल कॉलेज के लिए एक निजी संस्था को पट्टे दी गई थी, लेकिन आज तक वहां कॉलेज नहीं बन पाया है। हालांकि, जमीन भी सरकार को वापस नहीं मिली है। इस भूमि का उपयोग ईएमएस द्वारा किया जा सकता है।

जमीन की कमी की एक और समस्या है, आज तक यह राष्ट्रीय स्तर का अस्पताल पंचायत के अधीन है। इलाका बीएमसी के अधीन ना आने से बिजली व्यवस्था और कचरा प्रबंधन आदि के लिए बीएमसी कोई कदम नहीं उठा रही है।

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