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लोकसभा चुनाव से पहले इस राज्य में कांग्रेस को एक और झटका, विधायक ने दिया पार्टी से इस्तीफा

ओडिशा में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस विधायक अधिराज मोहन पाणीग्राही ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ विभिन्न पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पत्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शरत पटनायक के पास भेज दिया है। वह 25 वर्ष तक कांग्रेस में थे।माना जा राह है कि विधायक अधिराज मोहन पाणीग्राही बीजद में शामिल होंगे।

By Sheshnath Rai Edited By: Arijita Sen Updated: Wed, 20 Mar 2024 10:19 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और झटका।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस विधायक अधिराज मोहन पाणीग्राही ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ विभिन्न पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पत्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शरत पटनायक के पास भेज दिया है। 

बीजद में शामिल होने की है संभावना

वह 25 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहे। माना जा रहा है कि विधायक अधिराज मोहन पाणीग्राही बीजद में शामिल होंगे।

कांग्रेस छोड़ने के बाद अधिराज ने कहा है कि खड़ियाल विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ चर्चा करने के बाद हमने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया है। किस पार्टी में जाएंगे, कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा करने के बाद अंतिम निर्णय लूंगा। हालांकि, उनके बीजद में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही है।

अधिराज मोहन पाणीग्राही की फाइल फोटो। 

स्‍वार्थ के लिए नेता बदलते हैं पाला: कांग्रेस अध्‍यक्ष

इस्तीफा देने के बाद विधायक ने कहा है कि वह 2024 का चुनाव लड़ेंगे। ओडिशा में कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर हो रही है। कांग्रेस में किसी भी नेता के साथ मेरा कोई मतभेद नहीं है।

विधायक पाणीग्राही के पार्टी छोड़ने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शरत पटनायक ने कहा है कि खड़ियाल में पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए कई योग्य उम्मीदवार हैं। चुनाव आने पर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। नेता अपने स्वार्थ के लिए पाला बदलते रहते हैं।

2019 के चुनाव में बीजद को दी थी मात

गौरतलब है कि 2019 चुनाव में अधिराज मोहन पाणीग्राही कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्हें 59,308 वोट मिले थे। बीजद नेता लम्बोधर नियाल को 56451 वोट मिला था। 2014 में इसी विधानसभा सीट से पाणीग्राही चुनाव हार गए थे।

ममिता मेहर घटना हो या मूल्य वृद्धि या अन्य मामले वह कई बार राज्य एवं केन्द्र सरकार पर मुखरता से आवाज उठाते रहे। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से वह चुप्पी साध लिए थे। ऐसे में चर्चा हो रही थी कि शायद वह पार्टी बदल सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस दिशा में कुछ भी संकेत नहीं दे रहे थे अब उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है।

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