Odisha Honey Trap: जेल से बाहर निकलने को छटपटा रही है अर्चना नाग, पुलिस की जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल
Odisha Honey Trap अर्चना नाग पर हनीट्रैप ब्लैकमेल हत्या की धमकी जैसे संगीन दफा पुलिस ने उनके नाम पर लगायी है। अर्चना के कालेधन अंबार एवं पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हो चुकी है।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। Odisha Honey Trap: एक दो नहीं बल्कि 16-16 दफा में गिरफ्तार होने वाली अर्चना नाग (Archna Naag) कानून की जाल में फंसने के बाद उससे निकलने का रास्ता खोज रही हैं। हनीट्रैप (Honey Trap), ब्लैकमेल (Blackmail) , हत्या की धमकी जैसे संगीन दफा पुलिस ने उनके नाम पर लगायी है।
इससे बाहर निकलने के लिए अर्चना नाग अब छटपट हो रही है। हालांकि फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। ऐसे में उन्हें निराश होना पड़ा है। भुवनेश्वर एसडीजेएम अदालत ने उनकी जमानत आवेदन पर सुनवाई किया है मगर राय को सुरक्षित रखा है।
पुलिस की जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल
इन सबके बीच अर्चना के कालेधन अंबार एवं पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हो चुकी है। ओडिशा पुलिस से नहीं बल्कि मामले की जांच प्रवर्तन निदेशलालय से कराने की मांग आवेदनकारी ने की है।
जमानत मिलेगी या जेल में रहना होगा
हनीट्रैप, ब्लैकमेल, जान से मारने की धमकी, संपत्ति हासिल करने के लिए युवतियों को मोहरा बनाकर बड़े-बड़े लोगों को चूना लगाने के काम में शामिल रहने के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद अर्चना नाग जेल में हैं। उन्हें जमानत मिलेगी या जेल में रहना होगा, इस पर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है।
अर्चना ने पहले भुवनेश्वर एसडीजेएम की अदालत में जेल से बाहर निकलने की अपील की। कोर्ट ने आज इस पर सुनवाई की लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया।
लगाए गए आरोप तर्कसंगत नहीं
जमानत के लिए अर्जी देते हुए अर्चना के वकील ने कहा कि अर्चना के ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं, वह तर्कसंगत नहीं हैं। इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। इसके साथ ही वकील ने कहा कि केस डायरी मांगी जाए। हालांकि सरकारी वकील ने कहा कि अर्चना के खिलाफ 16 धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
इन धाराओं में आईपीसी की धारा 370, 328 और आईटी अधिनियम 66-ई और 67 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसलिए उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। संभव है कि कोर्ट कल इस संबंध में फैसला सुनाए।
चुप है कमिश्नरेट पुलिस
ओडिशा के आदिवासी जिले कालाहांडी से आकर भुवनेश्वर में रहने वाली 30 वर्षीय अर्चना नाग के साथ कई बड़े-बड़े नेता, मंत्री एवं बिजनेस मैन का नाम जुड़ रहा है, मगर पुलिस उन संबंधों के रहस्य को उजागर नहीं कर पा रही है। अर्चना के काले साम्राज्य की फाइल को खुले एक सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन कमिश्नरेट पुलिस चुप है।
ईडी जांच को लेकर याचिका दायर
पुलिस न तो अर्चना को रिमांड पर ले रही है और न ही कला साम्राज्य के पीछे की कहानी को सार्वजनिक कर रही है। पुलिस के इस तरह के रवैये पर सवाल उठाकर मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। भारतीय विकास परिषद
ने इस घटना की ईडी से जांच कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें ईडी, मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजी पुलिस और खडगिरी थाने के अधिकारियों समेत केंद्र और राज्य सरकार को पक्षभुक्त बनाया गया है।
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