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पुरी के रत्न भंडार और कोणार्क सूर्य मंदिर में ASI ने किया सर्वे, अब तक क्या पता चला?

पुरी के रत्न भंडार (Puri Ratna Bhandar) और कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) में एएसआई के सर्वेक्षण से कई अहम जानकारियां मिली हैं। रत्न भंडार में लेजर स्कैनर से जांच की गई है और रडार सर्वेक्षण की योजना है। कोणार्क मंदिर से रेत हटाने का काम भी तेजी से चल रहा है। जानिए इन सर्वेक्षणों से क्या पता चला है।

By Sheshnath Rai Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 18 Sep 2024 09:13 PM (IST)
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पुरी का जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क सूर्य मंदिर। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के पुरी में एएसआई की टीम ने जगन्नाथ मंदिर के रत्नभंडार की अंदरूनी संरचना तथा कोणार्क सूर्य मंदिर से रेत हटाने के कार्य की प्रगति का निरीक्षण किया। ये दोनों ही मंदिर 12 वीं और 13वीं सदी के हैं। जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में 17 सदस्यीय टीम ने लेजर स्कैनर का उपयोग कर फर्श, दीवारों व छत की तीन घंटे तक गहन जांच की।

श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद कुमार पाढ़ी ने बताया कि अपराहन दो बजे से शाम 5 बजे तक निरीक्षण का कार्य जारी रहा। इसे लेकर मंदिर में अपराह्न एक बजे से शाम तक श्रद्धालुओं का दर्शन-पूजन बंद रखा गया। हालांकि महाप्रभु की विधि-विधानपूर्वक होने वाली नियमित पूजा जारी रही।

पाढ़ी के अनुसार, रत्न भंडार के भीतर कोई अन्य गुप्त खजाना है या नहीं, यह पता करने के लिए एक रडार सर्वेक्षण भी किया जाएगा। इसे लेकर रडार टीम के विशेषज्ञों से निरीक्षण के लिए आग्रह किया है। उधर, रत्नभंडार की जांच के लिए बनाई गई उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा कि विशेषज्ञों की टीम ने अभी प्रारंभिक जांच की है।

उन्होंने कहा कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और अन्य मशीनों के उपयोग से तकनीकी जांच की जाएगी। उधर कोणार्क सूर्य मंदिर में एएसआइ की टीम ने अतिरिक्त महानिदेशक जान्हवीज शर्मा के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम ने मंदिर के सभा कक्ष से रेत हटाने में हुई प्रगति का निरीक्षण किया।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, कोणार्क मंदिर को ढहने से बचाने के लिए 1903 में संरचना के भीतर रेत भरकर तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासन द्वारा सील कर दिया गया था। जान्हवीज शर्मा ने कहा कि कोणार्क मंदिर एक विश्व धरोहर स्थल है, जिसका हम समय-समय पर निरीक्षण करते हैं। यह ओडिशा में स्थित एकमात्र यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है।

उन्होंने कहा कि एएसआइ ने फरवरी 2020 में मंदिर से रेत हटाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया था। संरचनात्मक क्षति की जांच के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) द्वारा किए गए एंडोस्कोपी अध्ययन से पता चला है कि रेत का भराव लगभग 12.5 फीट तक रह गया है, जिसे हटाने का काम तेजी से चल रहा है।

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