नदी से बालू उठाने पर लगा प्रतिबंध हटाया गया: सुबह 7 से रात 9 बजे तक बालू परिवहन पर लगी पाबंदी: उल्लंघन करने पर कार्रवाई
गैर कानूनी तौर पर बालू उठाने तथा तस्करी को बंद करने के लिए हाईकोर्ट निर्देश देने के साथ-साथ बालू उठाने पर लगे प्रतिबंध को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। बालू घाट को लीज में लेने वाले संस्थान मशीन के माध्यम से मनमाने ढंग से अब नदी से बालू नहीं उठा पाएंगे। इस आदेश का कड़े तौर पर पालन करना होगा।
संवाद सहयोगी, कटक। नदी से बालू उठाने को लेकर लगने वाले प्रतिबंध को हटा दिया गया है। गैर कानूनी तौर पर बालू उठाने तथा तस्करी को बंद करने के लिए हाईकोर्ट निर्देश देने के साथ-साथ बालू उठाने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है।
बालू परिवहन करने वाली गाड़ियों पर पाबंदी
पर्यावरण सुरक्षा के ऊपर हाई कोर्ट ने अहमियत देते हुए सुबह के 7 बजे से रात 9 बजे तक रास्ते पर बालू परिवहन बंद रहेगा और इसे कड़े तौर पर पालन करने के लिए हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर जस्टिस डॉ विद्युत रंजन षड़ंगी और जस्टिस एम.एस रमण को लेकर गठित खंडपीठ ने निर्देश दिया है।
दिन के समय छात्र-छात्रा स्कूल, कॉलेज को जा रहे हैं। बच्चे और साधारण लोग भी कार्यस्थल को जा रहे हैं। ऐसे में रास्ते पर बालू परिवहन करने वाली गाड़ियों पर पाबंदी लगाते हुए, हाईकोर्ट ने यह राय दिया है।
आपातकालीन स्थिति में उठाया जा सकेगा बालू
बालू घाट को लीज में लेने वाले संस्थान मशीन के माध्यम से मनमाने ढंग से अब नदी से बालू नहीं उठा पाएंगे। सरकार की ओर से 21 दिसम्बर 2023 को जारी गाइडलाइन के अनुसार केवल आपातकालीन स्थिति में मशीन के द्वारा बालू उठाया जा सकेगा।इसके लिए इजाजत दी जा सकती है, यह बात हाई कोर्ट ने अपने राय में स्पष्ट किया है। अगर लीज मंजूर किए जाने वाली जगह को बिना मशीन में बालू उठाना संभव नहीं हुआ तो, उसे क्षेत्र में मशीन का इस्तेमाल पर सरकारी नीति के अनुसार हो सकेगा, जिसके लिए इजाजत दिया जा सकेगा। लीज की करार में रहने वाली तथा पर्यवरण मंजूरी में रहने वाली शर्तों को किसी भी परिस्थिति में उल्लंघन नहीं किया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और एनजीटी के निर्देश के साथ ओएमएमसी अधिनियम को कड़े तौर पर पालन किया जाएगा। बालू उठाने तथा परिवहन क्षेत्र में अगर किसी भी तरह का नियम उलंघन देखने को मिला तो, सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह बात हाई कोर्ट की राय में स्पष्ट कर दी गई है।याचिकाकर्त्ता प्रशांत कुमार दास की ओर से दायर इस मामले पर पूर्ण विराम लगाते हुए हाई कोर्ट ने यह राय दिया है। याचिकाकर्त्ता ओर से वकील सुकांत कुमार दलाई मामला संचालन कर रहे थे।
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