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Odisha News: दिल की धड़कन पूरी तरह हो चुकी थी बंद, फिर 120 मिनट में डॉक्टरों ने लौटा दी जिंदगी

Cardiac Arrestभुवनेश्वर एम्स के डॉक्टरों ने एक 24 वर्षीय युवक को मौत के मुंह से बचा लिया। मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ था। डॉक्टरों ने 40 मिनट तक सीपीआर और इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर (ईसीपीआर) दिया जिससे युवक का दिल फिर से धड़कने लगा। यह ओडिशा के चिकित्सा इतिहास में एक मील का पत्थर है। एम्स भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने टीम को बधाई दी।

By Sheshnath Rai Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 19 Nov 2024 02:25 PM (IST)
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भुवनेश्वर एम्स के डॉक्टर के साथ मरीज (जागरण)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Odisha News: डॉक्टर को भगवान का दुसरा रूप कहा गया है, इस बात को भुवनेश्वर एम्स के डाक्टरों ने अपनी बुद्धिमता एवं अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से साबित कर दिया है। एक युवा मरीज जिसे केवल मृत घोषित करना बाकी था, उसे पुर्नजन्म देकर भुवनेश्वर एम्स के डॉक्टरों ने ना सिर्फ युवक को पुर्नजन्म दिया बल्कि सदियों से चली आ रही डाक्टर भगवान के दुसरे रूप होते हैं वाली परंपरा के प्रति लोगों के विस्वास को और अटूट कर दिया है।

भुवनेश्वर एम्स के निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने पूरी टीम को बधाई दी है तो मरीज के परिवार वालों ने कहा हमारे बेटे का पुनर्जन्म हुआ है।

मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ था

जानकारी के मुताबिक हृदय गति रुकने से गंभीर हालत में 24 वर्षीय शुभकांत साहू को 1 अक्टूबर 2024 को एम्स भुवनेश्वर रेफर किया गया था। आगमन के कुछ ही समय बाद, मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ। डॉक्टरों के पास दो ही विकल्प थे, एक या तो मरीज को मृत घोषित कर दिया जाए और दुसरा मरीज को सीपीआर देकर उसे बचाने का प्रयास किया जाए।डाक्टरों ने दुसरा विकल्प अपनाया।

20 मिनट तक दिए जाने वाले CPR को 40 मिनट तक दिया गया

आमतौर पर एक मरीज को औसतन 20 मिनट तक दिए जाने वाले सीपीआर को 40 मिनट तक दिया गया परन्तु दिल में कोई भी गतिविधि नहीं हुई। इसके बाद दूसरे चरण में अगले 40 मिनट तक इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर दिया गया, जिसे ईसीपीआर कहते हैं। इससे भी कुछ खास लाभ तो नहीं हुआ परन्तु एक आशा की किरण दिख गई।

पूरी तरह से रुक चुकी दिल की धड़कन में हल्की सी गतिविधि महसूस हुई। फिर क्या था तीसरे चरण में डॉक्टरों ने अगले 40 मिनट तक ईसीपीआर दिया और मरीज का दिल अंतत: अनियमित लय के साथ परन्तु धड़कना शुरू कर दिया। अगले 30 घंटों में, हृदय की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार हुआ और मरीज को 96 घंटों के बाद सफलतापूर्वक ईसीएमओ से मुक्त कर दिया गया। टीम के इस उल्लेखनीय विशेषज्ञता, समन्वय और समर्पण से किए गए प्रयास के लिए बधाई मिल रही है।

एम्स भुवनेश्वर की हो रही तारीफ

एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने टीम के असाधारण प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है कि एम्स भुवनेश्वर अग्रणी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए चिकित्सा विज्ञान को प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने में हमेशा सबसे आगे रहा है। यह जीवन बचाने और चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने के प्रति हमारे समर्पण का प्रमाण है। पूर्वी भारत में ई-सीपीआर पद्धति का सफलता के साथ प्रयोग करने वाला भुवनेश्वर एम्स पहला अस्पताल है।

मरीज की मां ने डॉक्टर की टीम के प्रति गहरा आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे बेटे को जीवन का दूसरा मौका देने के लिए मैं एम्स भुवनेश्वर को धन्यवाद देती हूं। उनके कौशल, करुणा और दृढ़ संकल्प ने हमारे परिवार के लिए चमत्कार कर दिया है।

प्रक्रिया के बारे में बोलते हुए, डॉ. श्रीकांत बेहरा ने कहा कि ईसीपीआर, तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद, पारंपरिक रूप से घातक समझे जाने वाले कार्डियक अरेस्ट के इलाज में एक आशाजनक प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।यह सफलता ओडिशा के चिकित्सा इतिहास में एक मील का पत्थर है।

असाधारण प्रयास में एक बहु-विषयक टीम शामिल थी, जिसमें डॉ. कृष्ण मोहन गुल्ला, डा. संदीप कुमार पंडा, डा. सिद्धार्थ साथिया, डॉ. संगीता साहू, डॉ. मानस आर. पाणिग्रही और विभिन्न विशिष्टताओं के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता जैसे एमआईसीयू और नर्सिंग अधिकारी शामिल थे।चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप कुमार परिड़ा सहित डा. अनुपम दे, डॉ. रश्मिरंजन मोहंती, डॉ. देवानंद साहू ने इस अभिनव उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी।

क्या है ई-सीपीआर एवं सीपीआर

इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर देने को ईसीपीआर कहते हैं। इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर देने की पद्धित बहुत ही कठिन है।सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट से बचने में मदद कर सकता है।भले ही आपको सीपीआर न आता हो, आप "सिर्फ़ हाथों से सीपीआर" का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति की मदद कर सकते हैं। व्यक्ति को बचने की सबसे अच्छी संभावना देने के लिए, आपको तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है।

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