Odisha News: दिल की धड़कन पूरी तरह हो चुकी थी बंद, फिर 120 मिनट में डॉक्टरों ने लौटा दी जिंदगी
Cardiac Arrestभुवनेश्वर एम्स के डॉक्टरों ने एक 24 वर्षीय युवक को मौत के मुंह से बचा लिया। मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ था। डॉक्टरों ने 40 मिनट तक सीपीआर और इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर (ईसीपीआर) दिया जिससे युवक का दिल फिर से धड़कने लगा। यह ओडिशा के चिकित्सा इतिहास में एक मील का पत्थर है। एम्स भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने टीम को बधाई दी।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Odisha News: डॉक्टर को भगवान का दुसरा रूप कहा गया है, इस बात को भुवनेश्वर एम्स के डाक्टरों ने अपनी बुद्धिमता एवं अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से साबित कर दिया है। एक युवा मरीज जिसे केवल मृत घोषित करना बाकी था, उसे पुर्नजन्म देकर भुवनेश्वर एम्स के डॉक्टरों ने ना सिर्फ युवक को पुर्नजन्म दिया बल्कि सदियों से चली आ रही डाक्टर भगवान के दुसरे रूप होते हैं वाली परंपरा के प्रति लोगों के विस्वास को और अटूट कर दिया है।
भुवनेश्वर एम्स के निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने पूरी टीम को बधाई दी है तो मरीज के परिवार वालों ने कहा हमारे बेटे का पुनर्जन्म हुआ है।
मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ था
जानकारी के मुताबिक हृदय गति रुकने से गंभीर हालत में 24 वर्षीय शुभकांत साहू को 1 अक्टूबर 2024 को एम्स भुवनेश्वर रेफर किया गया था। आगमन के कुछ ही समय बाद, मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ। डॉक्टरों के पास दो ही विकल्प थे, एक या तो मरीज को मृत घोषित कर दिया जाए और दुसरा मरीज को सीपीआर देकर उसे बचाने का प्रयास किया जाए।डाक्टरों ने दुसरा विकल्प अपनाया।20 मिनट तक दिए जाने वाले CPR को 40 मिनट तक दिया गया
आमतौर पर एक मरीज को औसतन 20 मिनट तक दिए जाने वाले सीपीआर को 40 मिनट तक दिया गया परन्तु दिल में कोई भी गतिविधि नहीं हुई। इसके बाद दूसरे चरण में अगले 40 मिनट तक इक्मो मशीन के जरिए सीपीआर दिया गया, जिसे ईसीपीआर कहते हैं। इससे भी कुछ खास लाभ तो नहीं हुआ परन्तु एक आशा की किरण दिख गई।पूरी तरह से रुक चुकी दिल की धड़कन में हल्की सी गतिविधि महसूस हुई। फिर क्या था तीसरे चरण में डॉक्टरों ने अगले 40 मिनट तक ईसीपीआर दिया और मरीज का दिल अंतत: अनियमित लय के साथ परन्तु धड़कना शुरू कर दिया। अगले 30 घंटों में, हृदय की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार हुआ और मरीज को 96 घंटों के बाद सफलतापूर्वक ईसीएमओ से मुक्त कर दिया गया। टीम के इस उल्लेखनीय विशेषज्ञता, समन्वय और समर्पण से किए गए प्रयास के लिए बधाई मिल रही है।