कुछ कर गुजरने की मंशा हो तो मुसीबत में भी अवसर मिल जाता, ओडिशा के एक युवक ने किया साबित; जानिए क्या है कहानी
किसी के अंदर कुछ करने का जुनून व दृढनिश्चय हो तो वह मुसीबत में भी अवसर ढूंढ लेता है। ओडिशा में रायगड़ा जिले के अंबाडाला तहसील स्थित थुआपाडी गांव के कृष्ण चंद्र अटका ने इसे साबित कर दिखाया है और नीट की प्रवेश परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने कालाहांडी जिले के शहीद रेंडो माझी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपना नाम लिखवाया।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 23 Aug 2023 01:49 PM (IST)
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल: किसी के अंदर कुछ करने का जुनून व दृढनिश्चय हो तो वह मुसीबत में भी अवसर ढूंढ लेता है। ओडिशा में रायगड़ा जिले के अंबाडाला तहसील स्थित थुआपाडी गांव के कृष्ण चंद्र अटका ने इसे साबित कर दिखाया है।
कृष्ण चंद्र अटका का सपना डॉक्टर बनने का था। हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण उनका सपना टूटता दिख रहा था, लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी।इसके लिए वह केरल गया और वहां राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी के खर्चों को पूरा करने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए पैसे भेजने के लिए एक ईंट भट्ठा और मशीन कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। सभी बाधाओं को पार करते हुए कृष्ण चंद्र ने इस साल नीट परीक्षा पास किया।
बाधाओं को पार कर मिली सफलता
उनके पास मेडिकल की पढ़ाई में प्रवेश लेने के लिए पैसे की कमी थी, लेकिन ईश्वर की इच्छा थी कि वह एक डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करे। उनके गांव के एक सामाजिक कार्यकर्ता नील माधव हिक्का ने बिना ब्याज के उन्हें प्रवेश लेने के लिए 38 हजार रुपये दिए।इसके बाद उन्होंने कालाहांडी जिले के भवानीपटना में शहीद रेंडो माझी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपना नाम दर्ज कराया। उनका कहना है कि डॉक्टर बनने के बाद वह गरीबों और आदिवासियों का मुफ्त इलाज करेंगे।
कृष्ण चंद्र अटका ने यहां से की पढ़ाई
जानकारी के अनुसार, कृष्ण चंद्र ने 2006 में अंबाडोला सरकारी हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया और फिर 2008 में बरहमपुर स्थित खलीकोट जूनियर साइंस कॉलेज से प्लस टू किया। 2012 में वह केरल गए और दैनिक मजदूर के रूप में काम किया।फिलहाल, कृष्ण चंद्र को अध्ययन खर्च के लिए अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता है ताकि वह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने के अपने सपने को पूरा कर सकें।
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