Black Rice: फैट घटाता है, खून भी साफ करता है; कीमत है 500 रुपये प्रति किलो
Black Rice आमतौर पर जहां चावल 15 से 80 रु किलो के बीच बिकता है वहीं इसके चावल की कीमत 250 रुपए से शुरू होती है। ऑर्गेनिक काले धान की कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक है।
ब्रजराजनगर, एसएस खंडेलवाल। Black Rice औषधीय गुणों से भरपूर इस चावल में खुशबू और स्वास्थ्य का खजाना है।तेजी से लोकप्रिय हो रहे काले धान की खुशबू झारसुगुड़ा तक पहुंच चुकी है। ओडिशा में इस विशेष प्रजाति के धान की खेती संबलपुर, सुंदरगढ़, कंधमाल, कोरापुट आदि जिलों में होती है। अब झारसुगुड़ा जिले के बघराचका में प्रमोद साय ने इस वर्ष इस धान की खेती करके नया अध्याय शुरू किया है। उनके खेतों में खुशबूदार काले धान की फसल तैयार हो लहलहा रही है। अगले सप्ताह तक इसकी कटाई होगी। इलाके के अन्य किसान भी इस विशेष प्रजाति के धान की खेती की तैयारी कर चुके हैं।
आमदनी बढ़ाने का भी जरिया: इसकी खेती किसानों को अच्छी कमाई भी करा सकती है। पारंपरिक चावल के मुकाबले पांच सौ गुना अधिक कमाई इस धान की खेती से हो सकती है। कई राज्यों की सरकारें इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं।
ऑनलाइन कंपनियां बेच रही बीज
काले चावल की खेती करनेवाले पूर्वोत्तर के राज्यों मणिपुर आदि से बीज मंगा रहे हैं। वहीं ई-कॉमर्स कंपनियां भी इन इलाके के लोगों से इसके बीज खरीद अपने माध्यम से बेच रही हैं।
चीन से भारत पहुंचा काला चावल
भारत में सबसे पहले काले चावल की खेती असम, मणिपुर के किसानों ने 2011 में शुरू की। कृषि विज्ञान केंद ने काले चावल की खेती के बारे में किसानों को जानकारी मिली थी। इसके बाद आस पास के करीब 200 किसानों से इसकी खेती शुरू कर दी। असम, मणिपुर से होते हुए धीरे-धीरे काला चावल पूर्वोत्तर के राज्यों में लोकप्रिय हो गया।
पंजाब के किसानों ने भी शुरू की पैदावार
पूर्वोत्तर राज्यों के बाद इसकी खेती पंजाब में शुरू हो चुकी है। यहां के किसानों से मरिणपुर से इस धान के बीज मंगवाए हैं।
बघरचका के खेतों में लहलहा रही काले धान की फसल
संबलपुर, सुंदरगढ़, कंधमाल, कोरापुट आदि जिलों के बाद झारसुगुड़ा जिले के बघराचका में प्रमोद साय ने इस वर्ष इस धान की खेती करके नया अध्याय शुरू किया है। महानदी कोल फील्डस लिमिटेड (एमसीएल) मे नौकरी के दौरान भी वह खेती-किसानी में अपने पिता हरिश्चंद्र साय की सहायता करते थे। इस वर्ष अप्रैल में सेवानिवृत्ति के उपरांत उन्होंने कृषि क्षेत्र में कुछ नया करने का विचार किया। काले धान की उपयोगिता की जानकारी उन्हें एक
पत्रिका से हुई। एक ऑनलाइन कंपनी से 5500 सौ रुपये प्रति किलो की दर से बीज खरीदा। इसकी खेती के तरीकों की कंपनी से जानकारी ली। साय ने अपनी 50 डिसिमल जमीन में 22 अगस्त को बुआई कर दी जो आज लहलहा रही है।
पौधे की ऊंचाई साढ़े चार फीट
प्रमोद साय ने बताया कि फसल काफी अच्छी हुई है। 15 दिसंबर तक धान की कटाई का लक्ष्य रखा गया है। धान के पौधों की ऊंचाई करीब साढ़े चार फुट होने तथा पूरी खेती भारतीय पद्धति से की जाती है।
सेहत के साथ कमाई भी
जैविक तरीके से खेती की वजह से यह धान लोगों की पसंद बन रहा है। असम के कई किसानों को इससे मोटी कमाई हो रही है। आमतौर पर जहां चावल 15 से 80 रु किलो के बीच बिकता है वहीं इसके चावल की कीमत 250 रुपए से शुरू होती है। ऑर्गेनिक काले धान की कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक है।
पारंपरिक से कुछ अधिक होती पौधे की लंबाई
काले धान की फसल को तैयार होने में औसतन 100 से 110 दिन लगते है। विशेषज्ञ बताते है कि पौधे की लंबाई आमतौर के धान के पौधे से बड़ा है। इसके बाली के दाने भी लंबे होते है। यह धान कम पानी वाले जगह पर भी हो सकता है।
हाइब्रिड के मुकाबले कम पानी की जरूरत
इस धान की पैदावार में कम पानी की जरूरत पड़ती है। इसे कर्म सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में उपजाया जा सकता है। असम सरकार ने इसकी खेती के लिए 2015 में विशेष अभियान भी शुरू किया है।
असम व मणिपुर से मानी जाती है शुरुआत
काले धान की खेती की शुरुआत असम और मणिपुर जैसे राज्यों से मानी जाती है। अब इसकी ख्याति पंजाब जैसे राज्य में भी पहुंच चुकी है।
कई गंभीर रोगों में माना जाता है उपयोगी
काले धान का चावल कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी कारगर माना जाता है। डॉक्टर भी इसके प्रयोग की सलाह देने लगे हैं। औद्योगिक क्षेत्र के रूप में पहचान रखनेवाले झारसुगुड़ा जिले में कैंसर तथा मधुमेह रोगियों की संख्या काफी अधिक है। इसकी खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग न होने से इस धान की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। काला चावल एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर माना जाता है। यूं तो कॉफी और चाय में भी एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं लेकिन काले चावल में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है।
क्या है ब्लैक राइस या काला चावल
ब्लैक राइस या काला चावल सामान्य तौर पर आम चावल जैसा ही होता है। इसकी शुरूआती खेती चीन में होती थी। वहीं ये इसकी खेती असम और मणिपुर में शुरू हुई।
विटामिन व एंटी ऑक्सीडेंट का खजाना
बताया जाता है कि इस धान से निकले चावल में विटामिन बी, ई के अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा जिंक आदि प्रचुर मात्रा में मिलता है। ये तत्व मानव शरीर मे एंटी ऑक्सीडेंट का काम करते है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चावल कैंसर एवं मधुमेह रोग में उपयोगी माना जाता है। इसके सेवन से रक्त शुद्धीकरण भी होता है। साथ ही इस चावल के सेवन से चर्बी कम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ने की बात कही जा रही है।