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मोदी सरकार को समर्थन देकर बुरा फंसा BJD, विपक्ष का आरोप- क्‍या पार्टी को है ED, CBI का डर, जानें पूरा मामला

मोदी सरकार को समर्थन देकर बीजेडी अब विपक्ष के निशाने पर आ गई है। बीजद ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने की घोषणा की है और दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के लिए अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक का समर्थन किया। आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस या शिवसेना का उद्धव समूह हो विपक्ष की हर पार्टी ने अब बीजद पर निशाना साधा है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 03 Aug 2023 01:41 PM (IST)
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बीजेपी का साथ देकर बुरी फंसी बीजेडी, विपक्ष ने घेरा।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। दिल्ली से लेकर ओडिशा तक बीजेडी के रुख पर अब अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि यह हमेशा कांग्रेस और भाजपा से दूर रहने की 'समान दूरी की नीति' का पालन करने का दावा करती रही है।

बीजद ने इन दो मुद्दों पर दिया बीजेपी का साथ

ओडिशा की क्षेत्रीय पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) द्वारा दो मुद्दों पर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को अपना समर्थन देने के तुरंत बाद अब विपक्षी दलों के सीधे निशाने पर आ गई है। पहला- बीजेडी ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने की घोषणा की और दूसरा, उसने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के लिए अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक का समर्थन किया।

विपक्ष की हर पार्टी ने बीजद को घेरा

आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस या शिवसेना का उद्धव समूह हो, विपक्ष की हर पार्टी ने अब बीजद पर निशाना साधा है और उसके फैसले की आलोचना की है। इन सभी ने सवाल किया कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरियां थीं, जिनकी वजह से बीजेडी को मोदी सरकार को इस तरह के समर्थन की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा?

आप ने कहा- विधेयक का पक्ष लेने वाला राष्‍ट्र विरोधी

बीजद पर निशाना साधते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि संसद में विधेयक का समर्थन करने के लिए उनकी कुछ मजबूरी होगी। आप नेताओं ने कहा कि यह एक राष्ट्र विरोधी विधेयक है और जो इसका पक्ष ले रहे हैं उन्हें राष्ट्र विरोधी के रूप में याद किया जाएगा।

आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा, 'यह एक राष्ट्र विरोधी विधेयक है और जो इसका पक्ष ले रहे हैं उन्हें राष्ट्र विरोधी के रूप में याद किया जाएगा, जबकि जो इसका विरोध करेंगे उन्हें सच्चे देशभक्त के रूप में याद किया जाएगा। समर्थन का निर्णय किसी मजबूरी के कारण नहीं होना चाहिए।

शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि विधेयक असंवैधानिक है। हर किसी को इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि यह आज दिल्ली में हुआ, यह कल आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हो सकता है।

ओडिशा में भी गर्म हुआ राजनीतिक माहौल

न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि बीजद के इस कदम ने ओडिशा में भी राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। राज्य कांग्रेस इकाई ने आरोप लगाया कि बीजद ने ईडी और सीबीआई के डर से मोदी सरकार को समर्थन दिया।

कांग्रेस नेता बिजय पटनायक ने आरोप लगाया कि बीजद महिलाओं को सम्मान देने का दावा करता है, लेकिन वह ऐसे समय में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध कैसे कर रहा है जब मणिपुर में महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है? कारण जो भी हो, बीजद का यह दावा कि वह महिलाओं के लिए काम कर रही है, औंधे मुंह गिर गया है।

दूसरी ओर, भाजपा की ओडिशा इकाई ने गेंद बीजद के पाले में डाल दी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कि केवल बीजद ही कह सकती है कि उसने समर्थन क्यों दिया। उन्होंने कहा कि हमें समर्थन लेने में कोई समस्या नहीं है। केवल बीजद ही इस बात का जवाब दे सकती है कि उन्होंने डर या किसी अन्य चीज से समर्थन दिया है या नहीं।

बीजद ने सफाई में कह दी यह बात

दूसरी ओर, बीजद ने कहा कि पार्टी किसी से नहीं डरती और यह पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक का निर्णय है। जहां तक दिल्ली का सवाल है तो संघवाद का तर्क देना बिल्कुल सही नहीं है। हमारी पार्टी ने विधेयक का विरोध नहीं करने का रुख अपनाया है। बीजद विधायक प्रफुल्ल सामल ने कहा कि हमें कोई डर नहीं है और जैसा कि हमारे नेता ने समर्थन करने के लिए कहा है, हम ऐसा कर रहे हैं।

जारी जुबानी जंग के बीच कई सवाल उठ रहे हैं- क्या बीजेडी-बीजेपी का राजनीतिक समीकरण बदलने जा रहा है? क्या बीजेडी अपनी समान दूरी की नीति को बदलेगी? भाजपा की ओडिशा इकाई पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

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