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तेंदूपत्ता संग्रह पर लगा कोरोना का ग्रहण, राज्य को करोड़ों की क्षति

ओडिशा में लॉकडाउन के कारण 42 हजार तेंदूपत्ता संग्रहकर्ता अपना काम शुरु नही कर पाये हैं और न ही पिछले साल का 8 करोड़ रुपये का तेंदुपत्‍ता बिक पाया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 01:54 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 01:54 PM (IST)
तेंदूपत्ता संग्रह पर लगा कोरोना का ग्रहण, राज्य को करोड़ों की क्षति

राउरकेला, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के चलते सुंदरगढ़ जिले में वन उपज संग्रह कार्य प्रभावित हुआ है। जिले के 11 रेंज में करीब 42 हजार तेंदूपत्ता संग्रहकर्ता  काम शुरु नहीं कर पाए हैं। लॉकडाउन के चलते इस वर्ष संग्रह कार्य शुरु होना संभव नहीं लग रहा है। तेंदूपत्ता बंडल बांधने वाले करीब दो हजार श्रमिकों की भी यही हालत है। दूसरी ओर पिछले साल का 8 करोड़ से अधिक का तेंदूपत्ता बिक्री नहीं हो  पाया है जो गोदाम में पड़ा है। इस वर्ष भी 8 करोड़ से अधिक के तेंदूपत्ता के संग्रह पर अनिश्चितता बनी हुई है। राज्य तेंदूपत्ता निगम को इससे करोड़ों की क्षति होगी।

तेंदूपत्ता डिवीजन से मिली जानकारी के अनुसार फरवरी के अंत एवं मार्च महीने के मध्य तक तेंदूपत्ता संग्राहक आम शुरू हो जाता है परंतु इस वर्ष बारिश के कारण संग्रह में विलंब हुआ। 10 अप्रैल से 31 अप्रैल तक पत्ता संग्रह कर करने का कार्यक्रम था। कोरोना के चलते तेंदूपत्ता कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में संघ संग्रहकर्ताओं के लिए पारिश्रमिक निर्धारित नहीं हो पाया है। पिछले साल निर्धारित दर के अनुसार प्रत्येक  गुच्छा पर  एक रुपया देना था। एक गुच्छा में 20 पत्ते  बांधे जाने थे। पिछले वर्ष जिले से 19,400 बोरा तेंदूपत्ता संग्रह किया गया था। इसके अनुसार इस वर्ष अधिक पता संग्रह का लक्ष्य रखा गया था।

सुंदरगढ़ जिले के कुल 483 फाड़ी यानी सुखाने की जगह तय की गई थी। सूखे पत्तों को बंडल बांधने में दो हजार से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं। इन लोगों को वन कल्याण योजना में विवाह, पढ़ाई, मृत्यु कालीन सहायता आदि भी उपलब्ध कराया जाता है। इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रह नहीं होने से श्रमिकों को योजना से वंचित होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि  सुंदरगढ़ जिले में राउरकेला  तेंदूपत्ता डिवीजन में बणई गढ़,राजामुंडा, बडगांव, कलूंगा, राजगांगपुर, खुटगांव, उज्जवल पुर, सुंदरगढ़, लेप्रीपाड़ा, किंजिरकेला, बाली संकरा आदि 11 रेंज में  पत्ता संग्रह किया जाता है।  इनमें हर वर्ष  8 से 10  करोड़ का  तेंदूपत्ता  संग्रह कर प्रति  क्विंटल चार हजार रुपये तक बेचा जाता है। तेंदूपत्ता राज्य से पश्चिम बंगाल  एवंअन्य राज्यों के साथ-साथ पाकिस्तान एवं श्रीलंका भी जाता है। 

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