Chhath Puja 2022 Odisha: छठ पर्व का अंतिम दिन, भुवनेश्वर की कुआखाई नदी पर सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे भक्त
Chhath Puja 2022 Odisha छठ महा पर्व का आज चौथा व अंतिम दिन है आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर अपने व्रत का पारण करेंगे। सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 6 बजकर 32 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग था।
By AgencyEdited By: Babita KashyapUpdated: Mon, 31 Oct 2022 07:57 AM (IST)
भुवनेश्वर, एजेंसी। Chhath Puja 2022 Odisha: छठ पूजा का आज चौथा दिन यानि की अंतिम दिन है। सूर्योदय से पहले ही उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती घाटों पर पहुंच गए। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक भुवनेश्वर के कुआखाई नदी घाट पर भी काफी संख्या में भक्त अपने परिवार समेत एकत्रित हुए। बता दें कि छठ पूजा के चौथे दिन सर्य भगवान को अर्घ्य देकर व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करता है। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को छठ पूजा का प्रात : काल का अर्घ्य दे व्रत का पारण किया जाता है।
चार दिवसीय छठ महापर्व का पारण
गौरतलब है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी आज 31 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर शुरू हुई जो देर रात 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 6 बजकर 32 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग था। आज व्रती उषाकाल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय छठ पर्व का पारण करेंगे। ऐसी मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए समस्त कार्य सफल हो जाते हैं।
क्या है छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
ऐसा कहा जाता है कि जो उदय हुआ है उसका डूबना भी निश्चित है लेकिन छठ महापर्व पर पहले डूबते और फिर उगते हुए सर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जो ये संदेश देता है कि जो डूबा है उसका उदय भी अवश्य होगा। इसलिए कभी भी विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि धैर्यपूर्वक अच्छी कर्म करते हुए इसका मुकाबला करना चाहिए और अच्छे दिनों का इंतजार करना चाहिए। भगवान सूर्य की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और साथ ही सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।सूर्य को अर्घ्य कैसे दें
- सनातन परंपरा में आइए विस्तार से जानते हैं छठ पूजा के अंतिम दिन ही नहीं बल्कि हर दिन प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय किन बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
- सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना सबसे अच्छा माना जाता है। सूर्य की पूजा करने और अर्घ्य देने के लिए हमेशा हमेशा सूर्योदय से पहले उठे, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनकर उनकी पूजा करें।
- सुबह के समय पहले भगवान सूर्य को प्रणाम करें और उसके बाद तांबे के बर्तन में लाल फूल, रोली, अक्षत और पवित्र जल डाल पूरी श्रद्धा के साथ अर्घ्य दें।
- सूर्य देव को हमेशा नंगे पांव ही अर्घ्य देना चाहिए, ये भी ध्यान रखें को अर्घ्य का पानी कभी भी दूसरों के पैरों में न आये।
- जल अर्पित करते समय आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें या धूप-दीप जलाकर सूर्य मंत्र का जाप करें।