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ओडिशा में 'मिचौंग' की मनमानी: कहीं दरक रही मिट्टी, तो कहीं फसलें हो रहीं बर्बाद, जमकर तांडव मचा रहा तूफान

चक्रवात मिचौंग के प्रभाव से ओडिशा में लगातार बारिश हो रही है जिससे यहां का जन जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। एक तरफ भारी वर्षा के कारण पहाड़ से मिट्टी एवं चट्टान खिसकने से आवागमन ठप हो रहा है वहीं दूसरी तरफ खेतों में पककर तैयार एकड़-एकड़ धान की फसल एवं सब्जी की खेती उजड़ गई हैं। पारा लुढ़कने से मौसम का मिजाज भी बदल गया है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 07 Dec 2023 01:28 PM (IST)
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ओडिशा के कोरापुट में लगातार वर्षा के बाद पहाड़ से खिसकी चट्टान।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। तमिलनाडु में तबाही मचाने वाले चक्रवात मिचौंग ने ओडिशा में भी कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। यहां लगातार हो रही वर्षा से सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

कोरापुट में पहाड़ से खिसकी चट्टान

कोरापुट जिले के नारायणपटना तलगुमाण्डी पंचायत बरीपुट में हुई भारी वर्षा के कारण पहाड़ से मिट्टी एवं चट्टान खिसक जाने से उक्त मार्ग पर आवागमन ठप हो गया है, तो खेतों में पककर तैयार एकड़-एकड़ धान की फसल एवं सब्जी की खेती उजड़ गई हैं। इसी के साथ अचानक पारा लुढ़कने से मौसम का मिजाज बदल गया है।

चक्रवात ने बदला मौसम का मिजाज

चक्रवात मिचौंग के प्रभाव से प्रदेश में हो रही लगातार वर्षा के कारण मौसम का मिजाज बदल गया है। प्रदेश के तापमान में 5 डिसे. गिरावाट के साथ 20 से 22 डिसे तक पहुंच गया है।

इससे सर्द हवाओं के साथ ठंड ने अपनी दस्तक दे दी। राज्य में पिछले दो दिनों से वर्षा होने के साथ आसमान में बादल छाए हुए हैं और मौसम पूरी तरह से ठंडा हो गया है।

बदले मौसम के पीछे चक्रवात मिचौंग का प्रभाव

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदेश में बदले मौसम के पीछे चक्रवात मिचौंग का प्रभाव है। ऐसे में यह स्थिति ज्यादा गम्भीर नहीं होगी और कुछ एक दिन में मौसम सामान्य हो जाएगा।

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विशेष राहत आयुक्त ने जिला कलेक्टरों से मांगी रिपोर्ट

ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों से चक्रवात 'मिचौंग' के कारण फसलों को हुए नुकसान पर 12 दिसम्बर तक अपनी-अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।

विशेष राहत आयुक्त ने कहा है कि राज्य में चक्रवात 'मिचौंग' के प्रभाव से पिछले कुछ दिनों के दौरान व्यापक बारिश देखी गई है, जिससे खरीफ की खड़ी फसलों और बागवानी फसलों को नुकसान हो सकता है।

प्रभावित किसानों की पीड़ा को दूर करने के लिए, राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के मानदंडों के अनुसार, 33 प्रतिशत और उससे अधिक फसल नुकसान वाले किसानों को कृषि इनपुट सब्सिडी (एआईएस) प्रदान की जाएगी।

धान के लिए अहम पौष-मार्गशिर का महीना

पौष-मार्गशिर का महीना धान की फसल के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। पौष माह में धान पकने लगता है और मार्गशिर माह में किसान इसकी कटाई करता है।

धान पकने के दौरान यदि वर्षा हो जाए तो किसान की साल भर की मेहनत बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में चक्रवात मिचौंग के प्रभाव से पिछले दो दिनों से हो रही वर्षा ने प्रदेश के किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। केवल धान ही नहीं किसानों द्वारा उगाई गई हरी सब्जियां भी वर्षा के कारण बर्बाद हो गई हैं।

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