यूं ही नहीं डॉक्टर कहलाते भगवान का दूसरा रूप: जब सभी ने छोड़ दी थी उम्मीद तब एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों ने कर दिखाया कमाल
छह साल की श्रावणी मल्लिक और सात साल के सूर्यकांत दर्द दोनों बिजली की चपेट में कुछ इस तरह से आए कि बचना नामुमकिन हो गया। परिवारवालों ने उम्मीद छोड़ दी थी तभी एम्स भुवनश्वेर के डॉक्टरों ने कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया कि अब बच्चे पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। स्किन एलोग्राफ्ट से इन्हें नई जिंदगी मिली।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। छह साल की श्रावणी मल्लिक और सात साल के सूर्यकांत दर्द से तड़प रहे थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें ऐसा जीवन मिलेगा। हालांकि, एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों की वजह से दोनों को नया जीवन मिला है। अन्य एक व्यक्ति की त्वचा ने दोनों को एक नया जीवन दिया। इस तरह की सफलता एलोग्राफ्ट उपचार के माध्यम से मिली है।
दोनों बच्चों को बचाना था नामुमकिन
छह साल की श्रावणी मल्लिक भुवनेश्वर के केसुरा गांव की रहने वाली है। वह नौ जून को छत पर खेलते समय करंट की चपेट में आ गयी जिससे श्रावणी के दोनों हाथ और पूरा पेट जल गया।
परिजनों ने उसे कैपिटल अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में उन्हें कटक के बड़ा मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया।
हालांकि, यहां डॉक्टर ने दोनों हाथ काटने की सलाह दी और कहा कि इसके बिना बच्ची को बचाना असंभव हो जाएगा। एससीबी के डॉक्टर का ऐसा बयान सुनकर परिवार के लोग टूट गए।
बाद में वह आखिरी उम्मीद लेकर एम्स पहुंचे। श्रावणी को भुवनेश्वर के एम्स बर्न सेंटर में भर्ती कराया गया था, वहां से अब उसे नई जिंदगी मिल गई है।
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करंट लगने से जल गया था सूर्यकांत का पूरा शरीर
उसी तरह से पुरी जिले के रहने वाले सात वर्षीय सूर्यकांत का करंट लगने के बाद चेहरा छोड़कर पूरा शरीर जल गया था। उसे पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद परिवार वालों ने भगवान की आस में उसे एम्स में भर्ती कराया।
स्किन एलोग्राफ्ट से मिली बच्चों को नई जिंदगी
इन दोनों बच्चों को बचाने के लिए स्किन एलोग्राफ्ट ही एकमात्र विकल्प था। लेकिन एम्स भुवनेश्वर में कोई स्किन बैंक नहीं होने के कारण उम्मीदों पर पानी फिर गया। संयोग से उसी वक्त एक और मरीज के इलाज के लिए मुंबई से एक स्किन आ गई।
हालांकि, उस मरीज की मृत्यु हो गई और उसके परिवार ने त्वचा को बर्न सेंटर को दान कर दिया। जिसने दोनों बच्चों की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई। बहरहाल, फिर भी श्रावणी के दोनों हाथ काटने पड़े हैं, लेकिन दोनों बच्चे अब ठीक हैं।
लोगों को मिली जिंदगी जीने की नई उम्मीद
एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर आशुतोष बिस्वास ने कहा है कि पहले एम्स में केवल मरीज के शरीर से ऑटोग्राफ्ट या त्वचा ली जाती थी और सफल त्वचा प्रत्यारोपण किया जाता था।
मेडिकल टीम के प्रयासों से पहली बार दो मरीजों को एलोग्राफ्ट के माध्यम से नया जीवन दिया गया है। अब सभी को उम्मीद है कि इस सफलता के बाद जल्द ही एम्स भुवनेश्वरमें स्किन बैंक की स्थापना की जाएगी। यह कई जले हुए रोगियों के लिए जीवन जीने की एक नई उम्मीद है।
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