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DRDO ने किया प्रलय मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण, LOC के पास दाग दिया तो चीन के बंकर-तोप का हो जाएगा खात्मा

Pralay Missile भारतीय डीआरडीओ आज सुबह प्रलय नामक अत्याधुनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस मिसाइल को अगर एलओसी के पास दागा जाए तो इससे चीन के बंकर तोप आदि को नष्ट और खत्म किया जा सकता है। प्रलय को पाकिस्तान की कम दूरी की परमाणु मिसाइल से मुकाबला करने के लिए भी तैयार किया गया है ।

By Jagran NewsEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 07 Nov 2023 11:25 AM (IST)
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DRDO ने किया प्रलय मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण

लावा पांडे, बालेश्वर। भारतीय डीआरडीओ ने यानी की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने आज मंगलवार को सुबह 9:50 पर प्रलय नामक अत्याधुनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

अब्दुल कलाम द्वीप के एलसी 4 से इसका सफल परीक्षण किया गया है। प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर तक दुश्मन के किसी भी तरह के अड्डे को बर्बाद कर सकती है।

350-700 किलोग्राम तक वजन ले जा सकती है प्रलय

प्रलय लगभग 350 से 700 किलोग्राम तक वजन का हथियार ले जाने में सक्षम है, जो इसे और घातक बनाता है। सटीक मार्ग क्षमता और तेज रफ्तार से यह मिसाइल ज्यादा शानदार बनती है। यदि एलओसी के पास से इसे दागा जाए तो चीन के बंकर, तोप आदि को नष्ट और खत्म किया जा सकता है।

प्रलय है सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल

जमीन से जमीन पर मार करने वाली प्रलय को पृथ्वी मिसाइल प्रणाली पर बनाया गया है। प्रलय मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो इंटरसेप्टर मिसाइलो को मात देने में भी सक्षम है। इसके लिए इसे एडवांस मिसाइल की तरह बनाया गया है।

मिसाइल प्रणाली को 2015 में बनाना किया था शुरू

इस मिसाइल में हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता है। इस मिसाइल प्रणाली को 2015 में बनाना शुरू किया गया था। इस मिसाइल का परीक्षण पिछले साल यानी 2022 में 21 और 22 दिसंबर को किया जा चुका है, जो की सफल रहा था।

यह एक उच्च विस्फोटक पेनिट्रेशन कम ब्लास्ट (पीसीबी) और रनवे डिनायल पेनिट्रेशन सबमुनिसन (आरडीपीएस) ले जा सकता है। प्रलय एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, यह जमीन से जमीन पर वार करने के लिए विकसित की गई है।

प्रलय को पाकिस्तान की कम दूरी की परमाणु मिसाइल से मुकाबला करने के लिए भी तैयार किया गया है। आज इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौजूद था।

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