रविवार को पांच छात्र ढेंकानाल के सप्तसज्या के घने जंगल में गुम हो गए थे और उन्हें 11 घंटों तक जंगल में भूखे-प्यासे भटकना पड़ा। जब उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला तो छात्रों ने गूगल मैप का सहारा लिया लेकिन गूगल मैप ने पांचों छात्रों का और भी ज्यादा दुविधा में डाल दिया। इसके बाद छात्रों ने बाहर निकलने के लिए पुलिस को फोन किया।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। अपने गंतव्य स्थल पर जाने के लिए हममें से अधिकांश गूगल मानचित्र का उपयोग करते हैं।
हालांकि यह वही गूगल मैप है जिसने ओडिशा में पांच दोस्तों को ऐसा गुमराह किया कि ढेंकानाल के सप्तसज्या के घने जंगल में उन्हें 11 घंटे तक भूखे प्यासे भटकने के बाद भी बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला।इन छात्रों के साथ जो हुआ वह फिल्मी कहानी वाली भूल भुलैया से कम नहीं था, क्योंकि वे पूरी कोशिश के बाद जंगल से बाहर नहीं निकल पाए। आखिरकार पुलिस एवं वन विभाग की तरफ से रेस्क्यू कर इन छात्रों को बाहर निकाला।
ये छात्र भटक गए थे जंगल में
जानकारी के मुताबिक कटक के एक निजी आईटीआई कॉलेज के छात्र सुजित्य साहू, सूर्य प्रकाश मोहंती, सुभान महापात्रा, हिमांशु दास और अरक्षित महापात्रा ने ढेंकानाल के सप्तसज्या मंदिर जाने का फैसला किया। वे बाइक से मौके पर गए।वे पूर्वाह्न करीब 11 बजे पहुंचे।पहाड़ी की तलहटी में अपनी बाइक पार्क करते हुए, वे सीढ़ियों पर चढ़ गए और पहाड़ी के ऊपर मंदिर में भगवान राम के दर्शन किए। फिर वे विष्णु बाबा के मठ में गए।हालांकि वहां से लौटते समय वे भटक गए।
रास्ता भटकने के साथ वह घने जंगल में बीच में पहुंच गए। वे जिस भी दिशा में गए, उन्हें केवल जंगल ही मिला। तब तक दोपहर के 2 बज चुके थे।
गूगल मैप ने कटवाया जंगल का चक्कर
इन छात्रों ने गूगल मैप का सहारा लिया मगर घने जंगल में गूगल मैप उन्हें जंगल से बाहर निकालने के बजाय घने जंगल का चक्कर करवाते रहा।स्थिति यह हो गई कि भूखे-प्यासे जंगल में लगभग 10 किलोमीटर तक चलने के बाद, वे थक गए। शाम करीब साढ़े पांच बजे वे भुआसुनी खोला नामक स्थान पर पहुंचे। उन्होंने वहां कुछ समय विश्राम किया।
घंटों कोशिश करने के बाद, उन्हें एक व्यक्ति मिला तो उससे वे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता पूछे। उसने उन्हें पूर्व की ओर चलने के लिए कहा। उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर कम्पास का उपयोग करके दिशा का पता लगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।
पुलिस को फोन कर लगाई मदद की गुहार
कोई विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने पुलिस को फोन कर मदद की गुहार लगाई। बिना कोई पल गंवाए ढेंकानाल पुलिस हरकत में आ गई। वन विभाग की मदद से दो टीमों का गठन किया गया और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।
एक दल जहां माझी साही से आगे था, वहीं दूसरा दल सप्तसज्या मंदिर की ओर से पहाड़ी पर चढ़ गया। आखिरकार बचाव टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से छात्रों का पता लगा लिया।तब रात के करीब 12 बज रहे थे।
ऑपरेशन में डेढ़ घंटे का समय लगा
हिमांशु दास नामक एक छात्र ने कहा कि हम गलत दिशा में कुछ मीटर चले गए।मैंने अपने दोस्तों से कहा कि गूगल मैप्स गलत दिशा दिखा रहा है।हमें बाएं रास्ते पर जाना चाहिए। वे मान गए और हम आगे बढ़ गए।लेकिन हमें जंगल से बाहर जाने का रास्ता नहीं मिला। जब हमें बचाया गया, तब तक रात के 12 बज चुके थे।
डीएफओ और एसडीएफओ ने स्वीकार किया कि उनके लिए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि वर्षा हो रही थी और जंगली जानवरों का भी डर था। ढेंकानाल के एसडीपीओ विभूति महापात्र ने कहा कि गहन खोज अभियान के बाद हमने घने जंगल के अंदर भुआशुनी खोला में छात्रों का पता लगाया।उन्होंने कहा कि सरीसृपों और अन्य जानवरों की उपस्थिति के अलावा, यह क्षेत्र हाथियों की आवाजाही के लिए भी जाना जाता है। बारिश और अंधेरे ने ऑपरेशन को चुनौतीपूर्ण बना दिया।हालांकि गनीमत रही कि ये छात्र किसी जंगली जानवर या हाथी की चपेट में नहीं आए। ढेंकानाल के डीएफओ सुमित कर ने कहा कि अगर आस-पास हाथी होते, तो राहत बचाव कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण होता।
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