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महानदी से मिली 8 प्राचीन अष्टधातु निर्मित नाग मूर्तियां, मंदिर में किया गया स्थापित; ग्रामीणों का दावा- नदी में 16 मंदिर डूबे

नयागढ़ के भापुड़ ब्लॉक के अंतर्गत पद्मावती गांव के पास महानदी नदी के किनारे अष्टधातु से निर्मित प्राचीन आठ नाग की मूर्तियां मिलीं हैं। मूर्तियों को स्थानीय लोगों द्वारा नदी में स्नान करते समय पाया गया है। यहां उल्लेख करना उचित है कि कुछ साल पहले इसी क्षेत्र में एक 500 साल पुराने गोपीनाथ मंदिर के बारे में भी संधान मिला था।

By Sheshnath Rai Edited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 25 Dec 2023 04:37 PM (IST)
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महानदी से मिली 8 प्राचीन अष्टधातु निर्मित नाग मूर्तियां, मंदिर में किया गया स्थापित

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। नयागढ़ के भापुड़ ब्लॉक के अंतर्गत पद्मावती गांव के पास महानदी नदी के किनारे अष्टधातु से निर्मित प्राचीन आठ 'नाग की मूर्तियां' मिलीं हैं। जानकारी के अनुसार, मूर्तियों को स्थानीय लोगों द्वारा नदी में स्नान करते समय पाया गया है।

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि कुछ साल पहले इसी क्षेत्र में एक 500 साल पुराने गोपीनाथ मंदिर के बारे में भी संधान मिला था। अब नाग मूर्तियों की बरामदगी या तो गोपीनाथ मंदिर या नदी में डूबे किसी अन्य मंदिर से जुड़ी हुई है।

गांव के लोगों ने क्या कुछ कहा 

पद्मावती गांव के लोगों ने कहा है कि महानदी में 16 और मंदिर डूबे हुए हैं। अगर सरकार इन मंदिरों का अधिग्रहण कर उन्हें पुनर्स्थापित करती है तो यह पर्यटकों के आकर्षण में बदल जाएगा। लोगों ने राज्य सरकार से इस मामले में संरक्षण, शोध एवं पुनरूद्धार के लिए कदम उठाने के लिए अनुरोध किया है।

नदी से मिली वेशकीमती नागमूर्ति को लोगों ने स्थानीय बौलक्षेत्र के जगन्नाथ मंदिर में विधि विधान से स्थापित कर पूजा अर्चाना शुरू कर दी है। लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र से प्रवाहित हो रही नदी में अभी अन्य कई प्राचीन मंदिर छिपे हो सकते हैं।

इंटैक ने कहा- महानदी के दोनों तरफ बहुत से प्राचीन मंदिर थे

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) के ओडिशा सह संयोजिक अनील धीर ने कहा है कि महानदी के दोनों तरफ बहुत से प्राचीन मंदिर थे। हमारे सर्वे में 63 प्राचीन मंदिर महानदी के गर्भ में समाए हुए हैं। इनमें से कई ऐसे अवस्था में हैं कि एएसआई चाहे तो उसे सुरक्षित बाहर निकालकर दुसरी जगह स्थापित कर सकता है।

इससे पहले वह ऐसा कर भी चुका है। नागर्जुन सागर डैम जब बन रहा था तो उसके रिजर्वर में दो मंदिर डूब जा रहे थे। तब एएसआई ने उसे निकालकर दूसरी जगह स्थापित किया था। हम चाहतें हैं कि यहां भी ऐसा ही हो। इसके लिए हमने एएसई को पत्र भी लिखा हुआ है कि कम से कम एक या दो प्राचीन मंदिरों को महानदी के गर्भ बाहर निकालकर उसे संरक्षित करें।

कंधमाल से पहिए जैसा एक गोल आकार का पत्थर का टुकड़ा मिला

गौरतलब है कि हाल ही में ओडिशा के कंधमाल जिले के के.नुआगांव ब्लॉक अंतर्गत पुरुनासाही गांव के पास खड़ग नदी में पहिए जैसा दिखने वाला एक गोल आकार का पत्थर का टुकड़ा मिला था।

पुरुनासाही के ग्रामीणों का मानना था कि यह महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा चलाए गए अर्जुन के रथ का पहिया था। हालांकि, अभी तक पुरातत्व विभाग द्वारा ओड़िशा के विभिन्न जगहों से मिल रहे प्राचीन कृतियों पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।

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