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Odisha News: ओडिशा में आसमानी बिजली ने ली 300 लोगों की जान, रिपोर्ट में हुआ खुलासा; जानिए बचाव के उपाए

ओडिशा में हर साल करीब 300 लोगों की जान आसमानी बिजली गिरने से होती है। ये जानकारी आईएएनएस की एक रिपोर्ट से सामने आई है। बता दें कि बीते दो दिनों में भी बज्रपात के कारण 11 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा अन्य राज्यों की तुलना में कई ज्यादा है। बिजली गिरने की इन घटनाओं के पीछे कर कारण भी हैं।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 19 Aug 2024 03:13 PM (IST)
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ओडिशा में हर साल आसमानी बिजली गिरने से होती है 300 लोगों की मौत

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के कई जिलों में पिछले दो दिनों के अंदर बज्रपात गिरने से 11 लोगों की मौत हो गई है। अन्य राज्यों की तुलना में ओडिशा में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या बहुत अधिक है।

आईएएनएस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में हर साल बिजली गिरने की घटनाओं से लगभग 300 लोगों की मौत हो जाती है। ऐसी मौतों के कई कारण हैं, जैसे स्कूलों और आवासीय घरों सहित इमारतों में पर्याप्त अर्थिंग सिस्टम की कमी।

रविवार को भी झुलसे थे 4 लोग

जानकारी के मुताबिक रविवार को बालेश्वर जिले के सोरो प्रखंड के वादा गांव में आकाशीय बिजली गिरने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, जबकि 4 लोग झुलस गए थे। ये सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। मृतक का नाम हरिश मलिक है।

घायलों का नाम सुभद्रा मलिक, मताजी मलिक, भाग्यलक्ष्मी मलिक एवं ज्योतिप्रिया मलिक है। सभी खेत में काम कर रहे थे जब आकाशीय बिजली गिरी और उसके चपेट में आ गए।

उसी तरह से पिछले शनिवार को विभिन्न जगहों पर गिरी आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 10 लोगों की मृत्यु हो गई थी जबकि 17 लोग झुलस गए थे।

ये सभी घटनाएं मयूरभंज, भद्रक, केन्द्रापड़ा, गंजाम, जाजपुर, केन्दुझर एवं ढेंकानाल जिले में घटी हैं। इनमें से अधिकांश लोग खेत में काम कर रहे थे जब आकाशीय बिजली की चपेट में आ गए।

यदि घर से बाहर हैं तो - क्या करें और क्या न करें

1.बाहर जाने से पहले मौसम का पूर्वानुमान जांच लें। यदि पूर्वानुमान में तूफान या बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है तो अपनी बाहरी गतिविधियों को स्थगित कर दें।

2.जब बज्रपात हो तब तुरंत सुरक्षित आश्रय में घर के अंदर रहना बेहतर होता है। सुरक्षित आश्रयों में पक्के मकान, पक्की इमारतें शामिल हैं।

3.पेड़ों के नीचे और विशेष रूप से अलग-थलग पेड़ों के नीचे आश्रय न लें, क्योंकि ये बज्रपात को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

4. यदि आप कार से यात्रा कर रहे हैं, तो खिड़कियां बंद रखें।

5. बिजली सुरक्षा नियम के अनुसार, गड़गड़ाहट की आखिरी आवाज सुनने के बाद व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक घर के अंदर रहना चाहिए।

6. यदि आप पहाड़ियों, पर्वत की चोटियों पर हैं, तो बारिश के दौरान आश्रय के लिए वहां कभी न रुकें और तुरंत ऊंचे क्षेत्रों से हट जाएं।

7. तालाबों, झीलों और पानी के अन्य निकायों से दूर रहें। यदि बाहरी पानी वाले क्षेत्र (धान की रोपाई) में काम कर रहे हैं, तो तुरंत खेत से बाहर सूखे क्षेत्र में चले जाएं।

8. जमीन पर सीधे न लेटें, इससे लक्ष्य बड़ा हो जाएगा।

9. यदि कोई आश्रय उपलब्ध नहीं है, तो बिजली की तरह झुककर बैठें (एक तंग गेंद में बैठें, हाथ आपके पैरों के चारों ओर लपेटे हुए हों)। यह आपको यथासंभव छोटा लक्ष्य बनाता है।

10. यदि आप बज्रपात के दौरान समूह में हैं, तो एक-दूसरे से अलग हो जाएं। इससे अगर बिजली जमीन पर गिरती है तो चोटों की संख्या कम हो जाएगी।

यदि घर पर हों या घर के अंदर - क्या करें और क्या न करें

1. खिड़कियां और दरवाज़े बंद कर दें। खिड़की के परदे, शेड या परदे बंद कर दें।अपने घर के बाहर की वस्तुओं को सुरक्षित रखें। लकड़ी या किसी अन्य मलबे को हटा दें जो दुर्घटना का कारण बन सकता है।

2. सुनिश्चित करें कि बच्चे और पालतू जानवर अंदर हैं।

3.बिजली का संचालन करने वाली वस्तुओं से दूर रहें और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग करना न भूलें।

4. नहाने या शॉवर लेने, बर्तन धोने या पानी के साथ किसी अन्य संपर्क में आने से बचें और बहते पानी से दूर रहें। बिजली किसी इमारत की पाइपलाइन और धातु के पाइपों के माध्यम से फैल सकती है।

5. कंक्रीट की दीवारों या फर्श पर तार वाले मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें।

6. खुली संरचनाओं, पिछवाड़े, गोल्फ, बरामदे और स्विमिंग पूल से बचें।

7. कंक्रीट के फर्श पर न लेटें।

8. कंक्रीट की दीवारों के सामने न झुकें।

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