ओडिशा के जंगलों में इस साल भी धधक सकती है आग, अभी से शुरू हो चुका है सिलसिला, निपटने की तैयारी है पूरी
ओडिशा में जंगलों में आग लगने की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए इस बात की आशंका जताई जा रही है कि अब की बार भी दावाग्नि की कई घटनाएं सामने आएंगे। इनसे निपटने के लिए तैयारियां जारी है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 07 Feb 2023 09:53 AM (IST)
अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) देबिदत्त बिस्वाल ने सोमवार को चेतावनी दी कि ओडिशा में इस साल जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। उन्होंने आशंका जताई कि जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों में जंगल में लगी आग की घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, वास्तव में जनवरी के अंतिम सप्ताह से ही जंगल में आग लगने की सूचना मिल रही है। शुष्क मौसम भी मदद नहीं कर रहा है। अगर साल की शुरुआत में बारिश नहीं हुई तो इस बार भी जंगल में आग लगने की अधिक संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जंगलों में आग लगने का दौर अभी से शुरू
देबिदत्त बिस्वाल ने आगे कहा, “हालांकि आग की भयावहता की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। अभी हमें राज्य में 100 से 200 जगहों से जंगल में आग लगने की सूचनाएं मिली हैं। लेकिन अगर सूखे का दौर और लंबा चला तो अप्रैल तक यह बढ़कर एक हजार से ज्यादा हो सकता है।'आग से निपटने की तैयारियां हैं पूरी
उन्होंने कहा, हमारे पास अग्निशमन कर्मियों और उपकरणों सहित एक खाका तैयार है। हम जिला स्तर पर योजना बनाते हैं और एक एकीकृत दृष्टिकोण के साथ अग्निशमन विभाग और स्थानीय प्रशासन दोनों को साथ ले कर काम करते हैं । अगर जरूरत पड़ी तो हम जंगल की आग से निपटने के लिए उचित कदम उठाएंगे।
ओडिशा में दावानल की घटनाएं नई बात नहीं
पीसीसीएफ ने यह भी कहा, हर साल हमारे जंगलों को तबाह करने वाली दावाग्नि की घटनाएं नई नहीं हैं। पिछले साल जून में पुरी में कोणार्क वन्यजीव अभयारण्य में कथित तौर पर भीषण आग लग गई थी । विश्व प्रसिद्ध सिमलिपाल बायोस्फीयर पिछले कुछ वर्षों से जंगल की आग का शिकार रहा है। सिमलिपाल बायोस्फीयर रिजर्व में सात फायर पॉइंट्स हैं, 2022 में तलबांधा रेंज में छह और चहला रेंज में एक की सूचना दी गई थी।
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