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Jagannath Puri Rath Yatra 2020: श्री जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा में नहीं आये गजपति महाराज, बतायी ये वजह

Jagannath Puri Rath Yatra 2020 महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा में शमिल नहीं हो पाए गजपति महाराज कोविड -19 दिशा निर्देशों का किया पालन।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 06 Jun 2020 09:11 AM (IST)
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Jagannath Puri Rath Yatra 2020: श्री जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा में नहीं आये गजपति महाराज, बतायी ये वजह

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी स्नान यात्रा के दौरान छेरा पंहरा के लिए नहीं आने के संदर्भ में जानकारी देते हुए गजपति महाराज ने कहा है कि सरकार की तरफ से कोविड 19 को लेकर जारी दिशा निर्देश के चलते मैं छेरापहंरा करने नहीं आया। 

लाॅॅॅकडाउन नियम के मुताबिक धार्मिक उत्सव या समावेश में मंदिर के बाहर सात लोगों से अधिक का रहना अनुचित है। उसी तरह से 65 साल से अधिक आयु वर्ग के लगों को घर से बाहर निकलना अनुचित है। ऐसे मैं छेरापहंरा के लिए नहीं गया। गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने कहा है कि गजपति रहते हुए स्नानयात्रा में महाप्रभु की सेवा न कर पाना यह मेरे  लिए दूसरी घटना है। इससे पहले 1976 में अमेरिका के शिकागो में एलएलएम की पढ़ाई करते समय स्नान यात्रा में मैं छेरापंहरा नहीं कर पाया था। गजपति की अनुपस्थिति में उनकी तरफ से उनके प्रतिनिधि मुदिरस्त के द्वारा महाप्रभु की सभी सेवा करने की परंपरा होने की बात भी गजपति महाराज ने कही है।

 बता दें कि कोरोना महामारी के कारण केन्द्र एवं राज्य सरकार की तरफ से जारी सरकारी दिशा निर्देश का अनुपालन के साथ पहली बार बिना भक्तों के श्रीक्षेत्र धाम पुरी में भक्त वत्सल श्री जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा सम्पन्न की गई। स्नान नीति सम्पन्न होने के बाद श्री विग्रहों का गजानन वेश अर्थात हाथी वेश किया गया। महाप्रभु के इन तमाम नीतियों का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण हुआ, जिससे घर से करोड़ों भक्तों ने स्नानयात्रा नीति देखने के साथ महाप्रभु के गजानन वेश का दर्शन किया।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से श्रीमंदिर के चारों तरफ धारा 144 जारी करने के साथ सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दी गई थी। किसी भी भक्त को श्रीमंदिर के आस-पास भी भटकने की अनुमति नहीं थी। चाक चौबंद सुरक्षा के बीच बिन भक्तों के ही भक्त वत्सल्य भगवान जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा से लेकर गजानन वेश तक महाप्रभु की तमाम रीति नीति विधि के मुताबिक सम्पन्न की गई है। इस दौरान घंट-घंटा के साथ पूरा श्रीक्षेत्र धाम प्रकंपित हो रहा था। 

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