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ओडिशा में भगवान भरोसे सरकारी अस्पताल, मरीज हो रहे परेशान; निजी ​क्लीनिकों पर पैसा कमा रहे डॉक्टर

ओडिशा में संबलपुर जिला मुख्यालय अस्पताल की स्थिति बेकाबू हो गयी है जहां मरीज डॉक्टरों के आने का बाट जोहते रहते हैं वहीं डॉक्टर अस्पताल न आकर घंटों प्राइवेट क्लिनिक में बैठे रहते हैं। वे केवल वेतन के लिए हाजिरी लगाते हैं।

By Rajesh SahuEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Mon, 10 Apr 2023 08:48 PM (IST)
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सरकारी अस्पतालों में मरीज हो रहे परेशान
अनुगुल/भुवनेश्वर। ओडिशा में संबलपुर जिला मुख्यालय अस्पताल की स्थिति बेकाबू हो गयी है, जहां मरीज डॉक्टरों के आने का बाट जोहते रहते हैं, वहीं डॉक्टर अस्पताल न आकर घंटों प्राइवेट क्लिनिक में बैठे रहते हैं। वे केवल वेतन के लिए हाजिरी लगाते हैं।

कई डॉक्टर अब सरकारी पैसे से निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। ज्यादातर विभाग में एक डॉक्टर जहां दिन में केवल दो-तीन घंटे चिकित्सा केंद्र में बिताते हैं, वहीं बाकी समय वे एक निजी क्लिनिक में बैठते हैं।

यदि वे थोड़ी देर के लिए चिकित्सा केंद्र में हैं, तो वे गुस्से में आग-बबूला हो जाते हैं, जिसका डर कर्मचारियों से लेकर मरीजों तक सभी को है।

आए दिन लगता रहा है ठगी का आरोप

इसे लेकर कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं। लोगों का कहना था कि निजी क्लीनिक में नहीं बैठने से डॉक्टरों की जेब नहीं भरती। आए दिन डॉक्टरों पर मरीजों को ठगने का आरोप लगता रहा है। वह न ही ठीक से ड्यूटी कर रहे हैं और न ही समय से अस्पताल आ रहे हैं, इसलिए ज्यादातर गंभीर मरीजों को बुरला विमसार भेजा जाता है। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ।

केबिन के अलर्ट होने पर मरीज को जाने की स्थिति में उन्होंने केबिन किसी को नहीं दिया। तो क्या मरीज निजी क्लीनिक जा सकते हैं? इसलिए किसी को केबिन नहीं दिया गया। सर्जरी वार्ड में क्या होता है , यह सभी जानते हैं, लेकिन डॉक्टरों के डर से अधिकारी व कर्मचारी कुछ नहीं बोलते बल्कि सवाल पूछने पर वे सिर्फ कानाफूसी करने लगते हैं।

डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप

डॉक्टरों के रवैये से दूर-दराज से आने वाले असहाय मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अस्पताल के कुछ डॉक्टरों की लापरवाही के दर्जनों मामले सामने आए हैं ।

कुछ महीने पहले इसी प्रकार की लापरवाही से अस्पताल के जूनियर मैनेजर शिबानी पाणिग्राही की जिला मुख्यालय अस्पताल में प्रसव के लिए सिजेरियन में कम अनुभवी डॉक्टर की लापरवाही से मौत हो गई थी। एक सामाजिक संस्था ने इस मामले पर उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की थी।

बहाने से चले जाते हैं प्राइवेट क्लीनिक

शिकायत मिली है कि बड़े डॉक्टर शहर के बाहर जाने की बात कह कर प्राइवेट क्लीनिक, नर्सिंग होम, इत्यादि में मोटी रकम कमाने निकल जाते हैं जब कि इमरजेंसी केस आने पर कम अनुभवी डॉक्टर के हवाले मामला सुपुर्द कर दिया जाता है।

हालांकि, संबलपुर डीएचएच में अनुभवी डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है, फिर भी मरीजों पर ध्यान न देकर प्राइवेट मरीजों में उनकी ज्यादा दिलचस्पी रहती है।

एक तरफ राज्य सरकार हॉस्पिटल में चार चांद लगाने की तैयारियों में जुटी है, लेकिन यहां के डॉक्टरों की बात ही निराली है। शासन-प्रशासन अगर संबलपुर जिला मुख्यालय अस्पताल में डॉक्टरों के कामकाज पर अगर ध्यान नहीं देगी तो अस्पताल से जुड़ी सारी योजना-परियोजना व्यर्थ है।

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