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NHRC के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई! कटक में अस्पताल किया सील, 4 हॉस्पिटलों को नोटिस जारी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद कटक जिला स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों के खिलाफ एक्शन लिया। कटक में रानीहाट कैनल रोड पर स्थित चाणक्य अस्पताल को सील किया गया और जिले के चार अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन हॉस्पिटलों के खिलाफ भी जल्द ही कारवाई की तैयारी है। इसकी जानकारी कटक जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दी है।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 07 Jul 2024 04:31 PM (IST)
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चाणक्य अस्पताल को सील करने से पहले कागजातों की जांच पड़ताल करती जिला प्रशासन के टीम

संवाद सहयोगी, कटक। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद शनिवार को कटक जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से रानीहाट कैनल रोड में मौजूद चाणक्य अस्पताल को सील दिया गया।

अतिरिक्त जिलाधीश डॉक्टर दिव्यालोचन मोहंतो के अगुवाई में गठित एक विशेष टीम चाणक्य अस्पताल में पहुंचकर अस्पताल में मौजूद कागजातों की जांच पड़ताल करने के पश्चात उसे सील कर दिया है।

जिले के चार अस्पतालों को भेजा गया नोटिस

दूसरी ओर जिले के अन्य 4 अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। जल्द ही उन अस्पतालों के ऊपर कारवाई की जाएगी, यह बात कटक जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी यानी सीडीएमओ डॉक्टर मकरंद बेउरा ने गण माध्यम को जानकारी दी है।

बिना पंजीकरण तथा बिना आगजनी की सुरक्षा के चलाए जाने वाली उस निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने निर्देश दिया था।

साल 2015 में ही खत्म हो गई थी अस्पताल की अवधी

गैर कानूनी तौर पर रानीहाट कैनल रोड में चलने वाली इस अस्पताल को बंद करने के लिए निर्देश रहने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग केवल खत लिखकर बैठ जाने की घटना को लेकर आयोग ने काफी असंतोष जाहिर किया था।

वर्ष 2015 से इस अस्पताल का पंजीकरण अवधि खत्म हो गई थी। लेकिन वह बगैर पंजीकरण प्रमाण पत्र के इस अस्पताल को चल रहा था।

इन्होंने किया अस्पताल को सील 

अतिरिक्त जिलाधीश के साथ-साथ सीडीएमओ, एडीएमओ डॉक्टर चिंतामणि मिश्र, एसीपी जोन 2 के साथ अन्य सदस्य इस छापेमारी में शामिल होकर अस्पताल को सील किया है।

जिले में इस तरह के पंजीकृत ना होने वाले तथा नियम को उल्लंघन कर चलने वाली अस्पताल जो कि इंसानों के जिंदगी से साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और लोगों के मौलिक अधिकार के प्रति खतरा पैदा कर रहे हैं, उन्हें बंद करने के लिए आयोग ने निर्देश दिया था। आयोग इस संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान इसे गंभीरता के साथ लिया था।

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