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भारत ने किया स्मार्ट मिसाइल का सफल परीक्षण, 643 किलोमीटर तक है मारक झमता

डीआरडीओ ने ओडिशा के बालेश्वर स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से शनिवार शाम को सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टारपीडो (एसएमएआरटी-स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल की 50 किलोग्राम वजनी वारहेड के जरिये सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इसमें सटीक इनसीरियल नेविगेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मारक क्षमता 643 किलोमीटर है। यह मिसाइल मिड कोर्स इनसीरियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 05:45 AM (IST)
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भारत ने किया स्मार्ट मिसाइल का सफल परीक्षण (सांकेतिक तस्वीर)
 जागरण संवाददाता, बालेश्वर। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के बालेश्वर स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से शनिवार शाम को सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टारपीडो (एसएमएआरटी-स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया। यह एक कनस्तर आधारित लंबी दूरी की एंटी सबमरीन मिसाइल है। इसका इस्तेमाल जमीन, आसमान और पानी इन तीनों जगहों से दुश्मन के खिलाफ किया जा सकता है।

सटीक निशाना लगाने में सक्षम

इस मिसाइल की 50 किलोग्राम वजनी वारहेड के जरिये सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। असल में यह एक टारपीडो है जिसे मिसाइल की स्पीड और ताकत दी गई है, ताकि समंदर में दुश्मन के जहाज, युद्धपोत अथवा पनडुब्बियों को पानी में ही दफन कर दिया जा सके। इसे ग्राउंड मोबाइल लांचर से भी लांच किया जा सकता है।

वरिष्ठ अधिकारियों सहित विज्ञानियों का दल मौके पर मौजूद रहे

इसमें कई उन्नत उप प्रणालियों, जैसे कि दो चरण वाली ठोस प्रपलशन प्रणाली, इलेक्ट्रानिकल एक्चुएटर प्रणाली और सटीक इनसीरियल नेविगेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मारक क्षमता 643 किलोमीटर है। यह मिसाइल मिड कोर्स इनसीरियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है। इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों सहित विज्ञानियों का दल मौके पर मौजूद था।

पांच साल के भीतर देश में बनने लगेगी ब्रह्मोस एनजी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

पांच साल के भीतर देश में ब्रह्मोस एनजी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसके लिए तैयारी काफी हद तक पूरी हो चुकी है। निर्माण शुरू करने से पहले की प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है। इसकी मारक क्षमता भी वर्तमान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के बराबर ही लगभग 300 किलोमीटर तक की होगी। फर्क सिर्फ साइज एवं वजन का होगा। साइज एवं वजन कम होने से एयरक्राफ्ट पर लोड करना आसान होगा।

वर्तमान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की लंबाई नौ से 10 मीटर के बीच है जबकि एनजी मिसाइल की लंबाई लगभग पांच मीटर होगी। यही नहीं वजन एक टन के आसपास होगा। इसके निर्माण से जहां देश की सैन्य शक्ति काफी बढ़ जाएगी वहीं मिसाइलों का निर्यात करने वाले अग्रणी देशों में भारत शामिल होगा।यह जानकारी भारत शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन में पहुंचे ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड के डिप्टी सीईओ डा. संजीव जोशी ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी।

स्पेसएक्स के राकेट से संचार उपग्रह लांच करेगा इसरो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स के फाल्कन 9 राकेट की मदद से अपना संचार उपग्रह लांच करने के लिए तैयार है। इसरो के 4,700 किलोग्राम वजन वाले जीसैट-एन2 उपग्रह का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराना है। इससे भारतीय क्षेत्र में हवाई जहाजों में इंटरनेट की उपलब्धता भी संभव हो सकेगी।

इसरो का प्रक्षेपण यान मार्क-3 चार हजार किलोग्राम वजन तक के उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाने में सक्षम है। चूंकि जीसैट-एन2 का वजन इससे ज्यादा है, इसलिए अंतरिक्ष एजेंसी स्पेसएक्स के प्रक्षेपण यान का उपयोग कर रही है। इसरो के अनुसार, जीसैट-एन2 का मिशन काल 14 साल है और यह 32 यूजर बीम से लैस है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर आठ स्पाट बीम और शेष भारत में 24 वाइड स्पाट बीम शामिल हैं। ये 32 बीम देश के भीतर स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थित होंगे।

इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी कमी को दूर होगी

बेंगलुरु स्थित यूआर राव सेटेलाइट सेंटर के निदेशक डा. एम शंकरन ने कहा कि जब यह स्वदेशी उपग्रह परिचालन में आ जाएगा तो यह विश्व इंटरनेट मानचित्र पर भारत में मौजूद इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी कमी को दूर कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि यह भारत का सबसे अधिक क्षमता वाला उपग्रह है।

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