भारत ने किया स्मार्ट मिसाइल का सफल परीक्षण, 643 किलोमीटर तक है मारक झमता
डीआरडीओ ने ओडिशा के बालेश्वर स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से शनिवार शाम को सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टारपीडो (एसएमएआरटी-स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल की 50 किलोग्राम वजनी वारहेड के जरिये सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इसमें सटीक इनसीरियल नेविगेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मारक क्षमता 643 किलोमीटर है। यह मिसाइल मिड कोर्स इनसीरियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है।
जागरण संवाददाता, बालेश्वर। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के बालेश्वर स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से शनिवार शाम को सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टारपीडो (एसएमएआरटी-स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया। यह एक कनस्तर आधारित लंबी दूरी की एंटी सबमरीन मिसाइल है। इसका इस्तेमाल जमीन, आसमान और पानी इन तीनों जगहों से दुश्मन के खिलाफ किया जा सकता है।
सटीक निशाना लगाने में सक्षम
इस मिसाइल की 50 किलोग्राम वजनी वारहेड के जरिये सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। असल में यह एक टारपीडो है जिसे मिसाइल की स्पीड और ताकत दी गई है, ताकि समंदर में दुश्मन के जहाज, युद्धपोत अथवा पनडुब्बियों को पानी में ही दफन कर दिया जा सके। इसे ग्राउंड मोबाइल लांचर से भी लांच किया जा सकता है।वरिष्ठ अधिकारियों सहित विज्ञानियों का दल मौके पर मौजूद रहे
इसमें कई उन्नत उप प्रणालियों, जैसे कि दो चरण वाली ठोस प्रपलशन प्रणाली, इलेक्ट्रानिकल एक्चुएटर प्रणाली और सटीक इनसीरियल नेविगेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मारक क्षमता 643 किलोमीटर है। यह मिसाइल मिड कोर्स इनसीरियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है। इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों सहित विज्ञानियों का दल मौके पर मौजूद था।
पांच साल के भीतर देश में बनने लगेगी ब्रह्मोस एनजी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
पांच साल के भीतर देश में ब्रह्मोस एनजी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसके लिए तैयारी काफी हद तक पूरी हो चुकी है। निर्माण शुरू करने से पहले की प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है। इसकी मारक क्षमता भी वर्तमान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के बराबर ही लगभग 300 किलोमीटर तक की होगी। फर्क सिर्फ साइज एवं वजन का होगा। साइज एवं वजन कम होने से एयरक्राफ्ट पर लोड करना आसान होगा।वर्तमान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की लंबाई नौ से 10 मीटर के बीच है जबकि एनजी मिसाइल की लंबाई लगभग पांच मीटर होगी। यही नहीं वजन एक टन के आसपास होगा। इसके निर्माण से जहां देश की सैन्य शक्ति काफी बढ़ जाएगी वहीं मिसाइलों का निर्यात करने वाले अग्रणी देशों में भारत शामिल होगा।यह जानकारी भारत शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन में पहुंचे ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड के डिप्टी सीईओ डा. संजीव जोशी ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी।
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