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Israel-Hamas War: बंकर में कुछ इस तरह कट रही जिंदगी, इजरायल में फंसे 50 भारतीय विद्यार्थियों की आपबीती, जानकर सहम जाएंगे आप भी

Israel-Hamas War इजरायल औरहमास के बीच लगातार चौथे दिन भी भीषण युद्ध जारी है। इजरायल में ओडिशा के 50 विद्यार्थी फंसे हुए हैं। इन्‍हें किसी तरह से घर वापस लौटने का इंतजार है। इनके पास खाना-पीना भी सीमित है। लगातार युद्ध में कैसे जीना है इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रह-रहकर इन्‍हें भूकंप जैसा महसूस हो रहा है। सायरन बजते ही बंकर में चले जाना पड़ता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 11 Oct 2023 02:21 PM (IST)
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राउरकेला की अर्पिता समेत ओडिशा के 50 विद्यार्थी इजरायल में फंसे।

जागरण संवाददाता, राउरकेला। इजरायल और हमास के युद्ध चौथे दिन में पहुंच चुका है। युद्ध के बीच राउरकेला की अर्पिता पंडा समेत 50 से अधिक विद्यार्थी फंसे हैं। वे विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध के लिए गए हैं। इजरायल के सीमा क्षेत्र में युद्ध जारी है, जबकि अन्य क्षेत्र शांत हैं। इसके बाद भी सतर्कता बरती जा रही है एवं उन्हें घरों में ही रहने का निर्देश दिया गया है।

विद्यार्थी घर लौटने के लिए गिर रहे हैं दिन

राउरकेला के उत्कलमणि होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज के पूर्व प्रिंसिपल डा. रत्नाकर पंडा की बेटी अर्पिता पंडा इजरायल के वेस्ट बैंक स्थित एरियल विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान में शोध कर रही हैं।

वह दो वर्ष आठ महीने रह चुकी हैं एवं और एक वर्ष चार महीने का शोध शेष है। दशहरा छुट्टी में घर लौटने के लिए उन्होंने 16 अक्टूबर का टिकट लिया है, पर 14 अक्टूबर तक सारे विमान सेवा बंद हैं, जिससे उनके लौटने को लेकर अश्चितता बनी है। युद्ध के बीच वह फंसी हैं।

सायरन बजते ही बंकर में जाना पड़ता है

उन्होंने परिवार वालों को बताया है कि सभी सुरक्षित हैं एवं उनके रहने वाले क्षेत्र में शांति है। इसके बाद भी सायरन बजते ही सभी बंकर में चले जाते हैं। उनके पास 15 दिन के लिए खाने-पीने की चीजें मौजूद हैं।

सायरन बजते ही बंकर में जाने व अपने को सुरक्षित रखने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। सरकार से सभी को सुरक्षित बाहर निकाल कर ले जाने के लिए अनुरोध किया गया है। अर्पिता वेस्ट बैंक क्षेत्र में रह रही है। इस क्षेत्र में युद्ध का खतरा अभी नहीं है।

युद्ध में जीने का दिया जा रहा प्रशिक्षण

यदि ईरान फिलिस्तीन का सहयोग करे और युद्ध में शामिल हो जाये, तो इस क्षेत्र में भी खतरा उत्पन्न हो जायेगा। जिस विश्वविद्यालय में वह शोध कर रही हैं उसी विश्वविद्यालय में एक और छात्र ओडिशा का है जो पीएचडी कर रहा है।

युद्ध शुरू होने के सप्ताह भर पहले ही वह यहां आया है। उनका क्षेत्र अभी खतरे में नहीं है इसके बाद भी उन्हें कमरे में रहने को कहा गया है एवं सायरन बजते ही बंकर में जाने का प्रशिक्षण एवं निर्देश दिया गया है। इसके लिए अभ्यास भी कराया गया है।

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खाने-पीने की चीजें भी हैं सीमित

युद्ध आरंभ होने से 72 घंटे पहले ही सभी को खाद्य सामग्री मौजूद रखने का निर्देश दिया गया था। इसके अनुसार दो सप्ताह का सामान अपने पास रख लिए हैं। पानी, बिजली, इंटरनेट स्वाभाविक है।

युद्ध के समय विद्यार्थियों पर मानसिक दबाव न पड़े इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके लिए विद्यार्थियों का काउंसिलिंग भी किया गया है।

भूकंप सा है अनुभव

सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति गंभीर है। नियमित अंतराल में रॉकेट से हमला हो रहा है। शक्तिशाली कम होने के कारण भूकंप सा अनुभव हो रहा है।

यहां खतरा होने के कारण भारत सरकार से सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए संपर्क में है। दूतावास के निर्देशय पर आवश्यक दस्तावेज के साथ एक बैग तैयार कर रखे हैं। संकेत मिलते ही बैग लेकर निकलने को कहा गया है।

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