Jagannath Rath Yatra 2024 : रथ निर्माण में लगा ब्रेक, कारीगर सेवकों को नहीं मिल पा रही है लकड़ी
Jagannath Rath Yatra 2024 विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के लिए रथ निर्माण का काम चल रहा है। हालांकि रथ बनाने के लिए लकड़ी की कमी हो गई है जिसके चलते रथ निर्माण कार्य में जुटे महारणा सेवक खाली हाथ बैठे हैं। टेर परस्तु पोटल काम के लिए पांच पहिया का पट्टा नहीं पहुंचा है। इसे लेकर महाराणा सेवक ने नाराजगी जताई है।
संवाद सहयोगी, पुरी। Jagannath Rath Yatra 2024 पुरी जगन्नाथ धाम में विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए रथखला में रथ निर्माण का कार्य चल रहा है। हालांकि, रथ बनाने के लिए लकड़ी की कमी हो जाने से रथ निर्माण कार्य में नियोजित महारणा सेवक खाली बैठे हैं। अभी तक आरा मसीन से टेर परस्तु पोटल काम के लिए पांच पहिया का पट्टा नहीं पहुंचा है। पट्टा रथखला में समय पर नहीं पहुंचने पर महाराणा सेवक ने नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि रथों का काम समय पर पूरा करना एक चुनौती होगी क्योंकि लकड़ी नहीं पहुंची है। रथयात्रा के लिए सिर्फ 12 दिन बचे हैं। हालांकि, तीसरी मंजिल को पहले ही उठाया जा चुका है, लेकिन पोटाल जैसे समय लेने वाले काम के साथ-साथ दुआरबेड़ा, चंद्रशाली, पारावाड़ी काम नहीं हो पाया है। इसलिए, महाराणा सेवकों ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया है कि रथ यात्रा से 10 दिन पहले काम पूरा करने के लक्ष्य में मुश्किल आएगी।
इतना ही नहीं, नंदीघोष रथ का डंडा बनाने के लिए दी गई लकड़ी भी खराब पाई गई। वन विभाग द्वारा इस उद्देश्य के लिए प्रदान की गई 40 फीट की लकड़ी में से कुछ हिस्सा काटने के बाद लकड़ी खराब पायी गई। इसलिए उन लकड़ियों को काम खत्म करने के बाद फेंक दिया गया।
देवी सुभद्रा के दर्पदलन रथ के डंडा के लिए आई लकड़ी में भी इसी तरह की गड़बड़ी मिली है। महत्वपूर्ण बात यह है कि तीसरी मंजिल और तीन रथों के सामने का काम पूरा हो चुका है। तीसरी मंजिल उठने से पहले, काम शुरू होता है, लेकिन इस बार लकड़ी के तख्तों की सप्लाई में लापरवाही बरतने से रथ पर काम धीमा हो गया है।
'तीसरी मंजिल बनने के साथ ही काम शुरू हो जाना चाहिए'
भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के प्रमुख महाराणा सेवक और विश्वकर्मा बिजय कुमार महापात्र ने कहा है कि तेरह पर्दे तैयार करने में समय लगता है। तीसरी मंजिल बनने के साथ ही काम शुरू हो जाना चाहिए था।रथ निर्माण कार्य में पिछले वर्ष, कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इस साल, लकड़ी का पट्टा रथखला तक पहुंचने में हो रही देरी ने हमारी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। काम धीमा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर लकड़ी के तख्ते एक-दो दिन में नहीं पहुंचते हैं, तो हमारे लिए काम करना एक चुनौती होगी।
महापात्र ने कहा कि हमने इस संबंध में रथ की देखभाल करने वाले और अमीन को पहले ही सूचित कर दिया है। देवी सुभद्रा के दर्पदलन रथ के विश्वकर्मा सेवक नारायण महाराणा ने कहा कि रथ यात्रा से 10 दिन पहले काम पूरा करने का लक्ष्य था। हालांकि, रथ के अग्रभाग पर काम होने के बाद और काम नहीं हो सका। इसलिए, महाराणा सेवक हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस मामले को तुरंत देखना चाहिए।
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