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Janmashtami 2022: जगन्नाथ धाम में श्रीकृष्ण की मूर्ति में धड़कता है दिल, हैरान करने वाले हैं मंदिर के ये रहस्य

Janmashtami 2022 पुरी स्थित जगन्‍नाथ मंदिर में विराजमान काठ की मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का दिल (Heart of Lord Krishna) धड़कता है। यह आश्‍चर्य चकित करने वाला रहस्‍य है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य। काष्‍ठ से बनी इन मूर्तियों को प्रत्‍येक 12 वर्ष में बदला जाता है।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 05:04 PM (IST)
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Puri Jagannath Temple: ऐसी मान्‍यता है कि यहां की मूर्ति में आज भी भगवान कृष्ण का दिल धड़कता है।
नई दिल्‍ली, जागरण आनलाइन डेस्‍क। देशभर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) की धूम है। ओड़िशा के पुरी में स्थिति जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का इकलौता मंदिर है, जहां वह अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। समुद्र तट पर स्थित ये मंदिर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि यहां स्थापित श्रीकृष्ण की काठ (लकड़ी) की मूर्ति में आज भी उनका दिल धड़कता है। इस मंदिर से जुड़े और भी ऐसे कई रहस्य हैं, जो हैरान करने वाले हैं।

विविधताओं से भरे भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके रहस्यों के आगे विज्ञान और सारे तर्क फेल हैं। इन मंदिरों में अलग-अलग भगवानों की अनेकों मूर्तियां विराजमान हैं। पुरी स्थित जगन्‍नाथ मंदिर में भी ऐसे हैरान करने वाले कई रहस्य हैं।

ऐसी मान्‍यता है कि यहां की मूर्ति में आज भी भगवान कृष्ण का दिल धड़कता है। शायद आपको इस बात पर विश्‍वास न हो ले‍किन आज भी ऐसी कई रीति-नीति इस मंदिर में निभायी जाती हैं जो इसका जीता जागता प्रमाण हैं। इसके साथ ही पुराणों में भी इनका जिक्र किया गया है। यह आश्‍चर्य चकित करने वाला रहस्‍य है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य।

जानें क्‍या है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य

मंदिर में भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। काष्‍ठ से बनी इन मूर्तियों को प्रत्‍येक 12 वर्ष में बदला जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य में सबसे बड़ा आश्चर्य ब्रह्मा पदार्थ का रहस्य है।

इस प्रक्रिया में जब बारह साल बाद भगवान जगन्नाथ और अन्य मूर्तियों को बदल दिया जाता है और पूरे शहर में अंधेरा कर दिया जाता है, इसके लिए पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है।

पुजारियों की आंखों पर बांधी जाती है रेशम की पट्टी

मंदिर में भी अंधेरा कर दिया जाता है, मंदिर की सुरक्षा को हर तरफ से मजबूत किया जाता है, इसके बाद गुप्त अनुष्ठान नवकलेवर होता है और चयनित पुजारियों की आंखों पर रेशम की पट्टी बांध कर मंदिर में भेजा जाता है। इन मूर्तियों में से एक प्रकार का ब्रह्म पदार्थ निकाला जाता है, जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा, इसे ध्यान से नई मूर्तियों में स्थापित किया जाता है।

देखने वाला हो सकता है अंधा

कहा जाता है कि इस पदार्थ में इतनी ऊर्जा होती है कि इसे देखने वाला अंधा हो सकता है और मर भी सकता है, हालांकि इसे आज तक किसी ने नहीं देखा, यह प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है।

खरगोश की तरह फुदकता है ब्रह्म पदार्थ

दिव्य ब्रह्म पदार्थ को स्थानांतरित करने वाले पुजारियों के अनुभव के अनुसार, उन्हें लगता है कि जैसे वे अपने हाथों में कुछ जीवित वस्तु धारण कर रहे हैं, वह पदार्थ खरगोश की तरह उछलता रहता है। कुछ लोग कहते हैं कि यह अष्टधातु से बना एक दिव्य पदार्थ है और हिंदू धर्म में इसे भगवान कृष्ण का हृदय भी माना जाता है।

कहा जाता है कि इस पदार्थ में इतनी ऊर्जा है कि इसको देखने वाला व्यक्ति अंधा हो सकता है और मर भी सकता है वैसे किसी ने उसे आज तक देखा नहीं है सदियों से यह प्रक्रिया चली आ रही है।

दिव्य ब्रह्मा पदार्थ को स्थानांतरित करने वाले पुजारियों के अनुभव की माने तो उन्हें लगता है कि मानो वे किसी जीवित चीज को हाथ में ले रहे है वह पदार्थ किसी खरगोश की तरह फुदकता रहता है। कोई कहता है कि यह अष्टधातु से बना दिव्य पदार्थ है और हिंदू धर्म में इसे भगवान श्रीकृष्ण का हृदय भी माना गया है।

जानें इससे जुड़ी कहानी

द्वापर युग में भगवान विष्‍णु ने श्री कृष्ण का अवतार लिया जिसे उनका मानव रूप कहा जाता है। मानव रूप में जन्‍म लेने वाले प्रत्‍येक मनुष्‍य की मृत्यु निश्चित है। इसी प्रकार भगवान कृष्ण की मानव रूपी मृत्यु अपरिहार्य थी। महाभारत की लड़ाई के 36 वर्ष बाद भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर त्‍याग दिया था।

जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्‍कार किया तो उनके शरीर का आग से ढक दिया। ऐसा कहा जाता है कि उनका दिल उसके बाद भी धड़क रहा था। अग्नि भी उनके दिल को नहीं जला पायी। जिसे देख पांडव हैरान रह गए। उसके बाद आकाशवाणी हुई कि ये दिल तो ब्रह्मा का है। इसे समुद्र में बहा दो और भगवान श्री कृष्ण के दिल को समुद्र में बहा दिया गया था।

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