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    प्रोजेक्ट संगम: कालाहांडी में बदली किस्मत, धान की नई तकनीक से उपज बढ़ी

    कालाहांडी जो कभी सूखे के लिए जाना जाता था अब कृषि समृद्धि का प्रतीक बन रहा है। वेदांता एल्युमिनियम की प्रोजेक्ट संगम पहल के तहत किसानों ने धान की प्रणालीगत गहनता पद्धति (SRI) अपनाई जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई। 60 से अधिक किसानों ने इस तकनीक से खेती की है जिससे पैदावार बढ़ी और लागत में कमी आई। अब इस खरीफ सीजन में इसे और बढ़ाया जाएगा।

    By Sheshnath Rai Edited By: Piyush Pandey Updated: Sun, 24 Aug 2025 09:25 AM (IST)
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    SRI को अपनाकर किसान उत्पादन और आय दोनों में कर रहे बढ़ोतरी। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कभी सूखा और अकाल के लिए बदनाम रहा कालाहांडी अब कृषि समृद्धि की नई मिसाल लिख रहा है।

    वेदांता एल्युमिनियम की पहल प्रोजेक्ट संगम के तहत लांजीगढ़ ब्लॉक में किसानों ने धान की प्रणालीगत गहनता पद्धति (SRI) को अपनाकर उत्पादन और आय दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की है।

    किसानों की कमाई दोगुनी की राह

    अब तक 60 से अधिक किसानों ने 64.2 एकड़ भूमि पर इस तकनीक से खेती की है।

    धान की पैदावार: पहले प्रति एकड़ 18–20 क्विंटल थी, जो बढ़कर 22.5–25 क्विंटल हो गई (25% की वृद्धि)।

    इनपुट लागत: 10–12 हजार रुपए प्रति एकड़ से घटकर 7–9 हजार रुपए हो गई (30% की कमी)।

    जल दक्षता: 35% तक सुधरी।

    जैविक प्रथाएं: कीट कम हुए और मिट्टी की सेहत बेहतर हुई।

    कंपनी ने बताया कि इस खरीफ सीजन में इसे 210 एकड़ भूमि और 18 गाँवों के 120 किसानों तक विस्तार दिया जाएगा।

    किसानों की जुबानी

    स्थानीय किसानों का कहना है कि पौधारोपण की उचित दूरी रखने से फसल समान रूप से बढ़ी, कल्ले (tillers) अधिक निकले, मंडुआ वीडर से खरपतवार नियंत्रण आसान हुआ और बीज की खपत भी कम हुई।

    इससे छोटे और सीमांत किसान सबसे अधिक लाभान्वित हुए हैं और वे इस पद्धति को लंबे समय तक अपनाने को लेकर उत्साहित हैं।

    वेदांता की सोच

    वेदांता एल्युमिना बिजनेस के सीईओ प्रणब कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी दृष्टि केवल उद्योग तक सीमित नहीं है। कृषि ग्रामीण ओडिशा की जीवनरेखा है।

    प्रोजेक्ट संगम के तहत SRI की सफलता बताती है कि सामुदायिक नवाचार से उत्पादन, संसाधन संरक्षण और आजीविका में एक साथ सुधार संभव है। यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।

    प्रोजेक्ट संगम का व्यापक असर

    यह पहल जलग्रहण और आजीविका विकास पर केंद्रित है। इसके तहत लांजीगढ़ ब्लॉक के 41 गांवों में जल-आधारित परिसंपत्तियां विकसित की गईं। 3,500 एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा मिली।

    जल भंडारण क्षमता और भूजल पुनर्भरण दर में सुधार हुआ। 22,000 से अधिक लोग सालभर पीने और सिंचाई के पानी से लाभान्वित हो रहे हैं।

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